इन्हें पता है एक-एक बूंद पानी का महत्व, दस बीघा खेत की खोदाई कर बनवाया पोखरा

संतकबीरनगर जिले में ऐसे कई किसान हैं जिन्हें एक-एक बूंद पानी का महत्व पता है। जल संरक्षण से मिलने वाले फायदे के बारे में मालूम है। इन्हीं में से एक हैं नगर पंचायत बखिरा के बूंदीपार गांव निवासी 55 वर्षीय अशोक तिवारी।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Thu, 06 Jan 2022 04:05 PM (IST) Updated:Thu, 06 Jan 2022 04:05 PM (IST)
इन्हें पता है एक-एक बूंद पानी का महत्व, दस बीघा खेत की खोदाई कर बनवाया पोखरा
नगर पंचायत बखिरा के बूंदीपार गांव स्थित अशोक तिवारी का पोखरा। जागरण

गोरखपुर, हरिशंकर साहनी। संतकबीरनगर जिले में ऐसे कई किसान हैं, जिन्हें एक-एक बूंद पानी का महत्व पता है। जल संरक्षण से मिलने वाले फायदे के बारे में मालूम है। इन्हीं में से एक हैं नगर पंचायत बखिरा के बूंदीपार गांव निवासी 55 वर्षीय अशोक तिवारी। दस साल पहले इन्होंने दस बीघा खेत की खोदाई करके पोखरा बनवाया। इससे आसपास के लोग अपने खेतों की सिंचाई करते हैं। पशुओं को पूरे वर्ष इस पोखरे से पानी मिलता है। इसके साथ ही पोखरे का प्रयोग मछली पालन में भी हो रहा है।

सूखे की मार से देख चुके थे फसल की बर्बादी

बूंदीपार गांव पहले बघौली ब्लाक में शामिल था। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व यह गांव नवसृजित नगर पंचायत बखिरा में शामिल हो गया। गांव के बद्री तिवारी लंबे समय से धान, गेहूं की खेती के जरिए परिवार का भरण-पोषण करते रहे। इनके बेटे अशोक तिवारी बचपन में सूखे की मार से फसल की बर्बादी कई बार देख चुके हैं। समय से फसल की सिंचाई न होने से कम उत्पादन भी। अशोक के मन-मस्तिष्क में यह भर दिया कि बिन पानी के खेती-किसानी संभव नहीं। करीब दस साल पहले इनके मन में विचार आया कि वह अपने बेकार दस बीघा भूमि में पोखरा खोदवाएं।

पिता की अनु‍मति लेकर खेद में खोदवा दिया पोखरा

पिता की सहमति मिलने पर उन्होंने बिना मतस्य विभाग के सहयोग के और बिना किसी अनुदान लाभ के स्वयं का पैसा खर्च करके पोखरा खोदवा भी लिया। इनके पोखरे में गौरा, अजगरा, समदा, नौरो, अतरी सहित अन्य गांवों का बारिश का पानी जमा होता है। अशोक अपने पोखरे में पिछले दस साल से मछली पालन कर रहे हैं। इस पोखरे से इनके जीवन में खुशहाली आई है।

भूगर्भ जल संरक्षण में मिल रही मदद

भूगर्भ जल के संरक्षण में मदद मिल रही है। क्षेत्र के राजेश गुप्ता, जलधारी सिंह, हाजी नसिमुद्दीन, कृपाशंकर, नुरुल्लाह, प्रमोद सिंह, शैलेंद्र सिंह आदि कहते हैं कि अशोक क्षेत्र के जल संरक्षण के ब्रांड एंबेसडर हैं। आसपास के गांव के बारिश का पानी आज उनके बनाए पोखरे में एकत्रित होता है। इससे पशुओं को बहुत लाभ मिलता है। लोगों के फसलों की भी सिंचाई हो जाती है।

बिना पानी के नहीं की जा सकती है जीवन की कल्‍पना

अशोक तिवारी कहते हैं कि बगैर पानी के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। बिना पानी के खेती-किसानी भी संभव नहीं है। फसल की सिंचाई समय से न होने पर उत्पादन पर असर पड़ता है। इसलिए हर व्यक्ति को एक-एक बूंद पानी बचाने के लिए आगे आना होगा। बेकार पड़ी दस बीघा भूमि की खोदाई करवाकर उन्होंने दस वर्ष पूर्व पोखरा बनवाया। इससे वह अपने फसल की सिंचाई भी करते हैं और मछली पालन कर अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर रहे हैं।

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