Lockdown 4: क्‍वारंटाइन सेंटरों पर बुनियादी सुविधाएं भी नहीं, दोहरी मार झेल रहे प्रवासी मजदूर Gorakhpur News

गांवों में बने अधिकांश क्वारंटाइन सेंटरों पर न तो भोजन की व्यवस्था है और न ही जरूरी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। जांच के नाम पर कोरम पूरा कर उन्हें सेंटरों से घर भेज दिया जा रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 11:00 PM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 11:00 PM (IST)
Lockdown 4: क्‍वारंटाइन सेंटरों पर बुनियादी सुविधाएं भी नहीं, दोहरी मार झेल रहे प्रवासी मजदूर Gorakhpur News
Lockdown 4: क्‍वारंटाइन सेंटरों पर बुनियादी सुविधाएं भी नहीं, दोहरी मार झेल रहे प्रवासी मजदूर Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। गैर प्रांतों से आ रहे प्रवासियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। तमाम मुश्किलों के बीच ट्रक, बस, ट्रेन से सफर और सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचने वाले मजदूरों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। गांवों में बने अधिकांश क्वारंटाइन सेंटरों पर न तो भोजन की व्यवस्था है और न ही जरूरी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। जांच के नाम पर कोरम पूरा कर उन्हें सेंटरों से घर भेज दिया जा रहा है।

बिस्किट और पानी के सहारे पहुंचा यहां तक

विकास खंड उरुवा के श्रीराम रेखा सिंह इंटर कालेज में प्रवासियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए डाक्टरों की छह टीमें लगाई गई हैं। बेंगलुरु से ट्रक पर सवार होकर आए रामहोशिला बताते हैं कि बिस्किट और पानी के सहारे रास्ता कटा है। सेंटर पर आए तो जांच के बाद घर जाने को कहा गया। लुधियाना से लौटे राजेश कुमार, बृजेश व दिलीप ने भी क्वारंटाइन सेंटर में ही रहने की बात कही, लेकिन वहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। उरुवा संवाददाता के मुताबिक एसडीएम गोला राजेंद्र बहादुर ने बताया कि उरुवा क्षेत्र के लोगों की जांच के लिए सेंटर बनाया गया है।

घर से मंगाते हैं खाना

जानकारी के मुताबिक जंगल सालिकराम वार्ड के सामुदायिक केंद्र चारपुरवा क्वारंटाइन सेंटर पर हैदराबाद से आए 12 प्रवासियों को रखा गया है। ङ्क्षटकू, बृजेश, सचिन, दीपक, त्रिलोकी, रुदल, विनोद, मोनू, विजय ने बताया कि एक सप्ताह से सेंटर पर रह रहे हैं। यहां हैंडपंप नहीं है। शौचालय में दरवाजा नहीं है। खाना व नाश्ता घर से मंगाकर कर रहे हैं। सफाई भी नहीं हो रही है। रात भर म'छर काट रहे हैं। नींद पूरी नहीं हो रही है। नायब तहसीलदार सदर राधेश्याम गुप्त ने बताया कि प्रशासन की तरफ से क्वारंटाइन सेंटर पर भोजन की व्यवस्था की गई है। भोजन नहीं पहुंच रहा है, यह कर्मचारियों की लापरवाही है।

यहां पर है भोजन की व्‍यवस्‍था

सहजनवां तहसील क्षेत्र के गांवों में स्थापित क्वारंटाइन सेंटरों पर प्रशासन की ओर से खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग अपने घर से खाना मंगाते हैं। गनौरी पंचायत भवन व स्कूल में करीब 30 लोग क्वारंटाइन हैं। इनकी प्रशासन नेे थर्मल स्कैनिंग कराई है। तहसीलदार लालजी विश्वकर्मा के मुताबिक कम्युनिटी किचन से डेंटल कालेज तथा मुरारी इंटर कालेज में भोजन दिया जा रहा है। सुबह पूड़ी-सब्जी तथा रात में रोटी-दाल, चावल व सब्जी दी जाती है। ग्राम प्रधानों से भोजन ले जाने को कहा गया है, लेकिन कोई आ नहीं रहा है। कम्युनिटी किचन संचालित करने, क्वारंटाइन सेंटरों पर व्यवस्था व राशन वितरण के लिए शासन से 10 लाख रुपये मिले हैं, जिसका उपयोग किया जा रहा है। अभी तक किसी एनजीओ का सहारा नहीं लिया गया है।

क्‍वारंटाइन सेंटरों पर प्रवासियों की स्थिति

गोरखपुर के 20 विकास खंडों में अब तक कुल 32056 लोगों को 1199 क्वारंटाइन सेंटरों पर रखा गया। इसमें 7793 लोगों को 14 दिन पूर्ण कर घर भेज दिया गया। जनपद में 211 क्रियाशील क्वारंटाइन केंद्र हैं। 18 मई को इन केंद्रों पर 2255 लोगों को ठहराया गया।  दूसरी तरफ बाहर से आने वाले 15309 लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है। इनमें 6699 लोगों ने अपनी अवधि पूरी कर ली है।

जिनके घर रहने की व्‍यवस्‍था नहीं, उन्‍हें ही क्‍वारंटाइन सेंटरों में जगह

इस संबंध में एडीएम वित्‍त राजेश सिंह का कहना है कि बाहर से आ रहे लोगों को अब क्वारंटाइन सेंटर पर नहीं रहना है। उन्हें होम क्वारंटाइन होना है। कई गांवों में ग्राम प्रधान जबरदस्ती लोगों को क्वारंटाइन सेंटरों पर भेज दे रहे हैं। इस कारण अव्यवस्था उत्पन्न हो जा रही है। बाहर से आ रहे लोगों के स्वास्थ्य की जांच के बाद उन्हें घर भेजा जा रहा है। क्वारंटाइन सेंटर पर वही लोग रखे जाएंगे, जिनके घर में रहने की व्यवस्था नहीं है। ऐेसे लोगों के लिए भोजन समेत अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। 

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