Indian Railways: रेलवे में शुरू हुई छंटनी की प्रक्रिया, पूर्वोत्तर रेलवे के 750 पदों पर संकट के बादल

रेलवे में पदों की छटनी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पदों को सरेंडर के लिए विभागवार कर्मचारियों के कार्यों का अध्ययन किया जाएगा। जिसमें वैज्ञानिक तकनीकी पक्ष को भी देखा जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे के 750 पदों पर खत्म होने का संकट दिख रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 25 May 2021 09:05 AM (IST) Updated:Tue, 25 May 2021 01:23 PM (IST)
Indian Railways: रेलवे में शुरू हुई छंटनी की प्रक्रिया, पूर्वोत्तर रेलवे के 750 पदों पर संकट के बादल
रेलवे में छंटनी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के 750 पद खत्म हो जाएंगे। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोराेना की दूसरी लहर में भी रेलवे की नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रेलवे बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में पूर्वोत्तर रेलवे के 750 सहित भारतीय रेलवे से 13450 पदों को सरेंडर करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। बोर्ड के दिशा-निर्देश के बाद कार्यालयों में रेलकर्मियों के बीच छंटनी की सुगबुगाहट एकबार फिर से तेज हो गई है।

कर्मचारियों के कार्यों का अध्ययन, देखा जाएगा वैज्ञानिक तकनीकी पक्ष

पदों को सरेंडर के लिए विभागवार कर्मचारियों के कार्यों का अध्ययन किया जाएगा। जिसमें वैज्ञानिक तकनीकी पक्ष को भी देखा जाएगा। जानकारों के अनुसार हालांकि यह एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए अलग से कार्य कुशलता विभाग भी है। जिसके निरीक्षक विभागों की स्थिति का भौतिक निरीक्षण करते हैं। वह देखते हैं कि विभाग या अनुभाग में वर्तमान में कितने कर्मचारियों की आवश्यकता है। कितने कर्मचारी तैनात हैं। क्या इससे कम कर्मचारियों में भी कार्यालय के कार्य कुशलता के साथ संपादित हो सकते हैं। लेकिन इधर रेलवे बोर्ड पदों को सरेंडर करने का लक्ष्य निर्धारित करने लगा है। यानी, जोनल स्तर पर लक्ष्य के सापेक्ष पदों को सरेंडर करने का दबाव बढ़ गया है। इससे कर्मचारियों के बीच नौकरी को लेकर भय का माहौल तैयार होने लगा है। सितंबर 2020 में ही 55 वर्ष की उम्र पूरा कर चुके या 30 वर्ष की नौकरी करने वाले समूह ग और घ कर्मचारियों की उम्र और सेवा की लिस्ट तैयार होने लगी तो विभागों में दहशत का माहौल बन गया।

तीन साल में खत्म हो चुकी हैं नौ हजार नौकरियां

रेलवे में नौकरियों को खत्म करने का खेल कोई नया नहीं है। पिछले तीन साल में ही पूर्वोत्तर रेलवे में अलग-अलग विभागों में 9366 पद खत्म कर दिए गए हैं। जबकि, शुरू की गई एक भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। रेलवे बोर्ड प्रत्येक साल पदों को सरेंडर कर रहा है। विभाग खाली होते जा रहे हैं।

कर्मचारी संगठनों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

पदों के लगातार खत्म होने पर कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है। संगठनों ने बोर्ड के नए दिशा-निर्देश का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त कहते हैं कि कोविड काल मे दो माह में लगभग 300 कर्मचारियों की असामयिक मृत्यु हो गई। प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त के कारण हजारों पद रिक्त हो रहे हैं। लेकिन नई भर्ती नही हो रही है। यह रेलवे को समाप्त करने की साजिश है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के प्रवक्ता एके सिंह बताते हैं कि अधिकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि, कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। रेल मंत्रालय युवाओं का स्थाई रोजगार छीन रहा है।

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