ठंड के मौसम में मुसीबत बढ़ा रहीं त्वचा की बीमारियां, ऐसे कर सकते हैं बचाव Gorakhpur News
गर्मी व बरसात के मौसम में वातावरण में नमी रहती है। इससे त्वचा की कोशिकाएं आपस में जुड़ी रहती हैं लेकिन सर्दियों में ऐसा नहीं होता। ठंड के मौसम में कोशिकाओं में नमी कम हो जाती है।
गोरखपुर, जेएनएन। ठंड के मौसम में त्वचा की बीमारियां मुसीबत बढ़ा रही हैं। साफ-सफाई में लापरवाही व संक्रमण के कारण फुंसी-फोड़ा व एक्जीमा, खुजली, दाद आदि के मरीज बढ़े हैं। मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों में आधे से अधिक इन समस्याओं से पीडि़त हैं। निजी चिकित्सकों के पास भी ऐसे मरीजों की लंबी कतार है।
ऐसे हो रहा प्रभाव
गर्मी व बरसात के मौसम में वातावरण में नमी रहती है। इससे त्वचा की कोशिकाएं आपस में जुड़ी रहती हैं लेकिन सर्दियों में ऐसा नहीं होता। ठंड के मौसम में कोशिकाओं में नमी कम हो जाती है, जिससे त्वचा सूखने लगती है और फटने की शिकायत शुरू हो जाती है। अधिक लापरवाही से त्वचा की ऊपरी के साथ निचली सतह भी प्रभावित होकर धीरे-धीरे सूखने लगती है। ऐसे में त्वचा की परत बाहर निकलने लगती है। बाद में वातावरण में मौजूद जीवाणुओं व गंदगी की वजह से त्वचा में संक्रमण के कारण फुंसी -फोड़ा, एक्जीमा आदि चर्म रोग हो जाते हैं।
ऐसे समझें बीमारी
इस मौसम में स्केबीज या खुजली की वजह से शरीर के अंदरूनी अंगों, हाथ की अंगुलियों के बीच छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, जिनमें खुजली होती है। इसी तरह फंगल संक्रमण जैसे दाद की शिकायत भी आम है। इसमें शरीर पर गोल चकत्ते हो जाते हैं। यह रोग जाड़े में साफ-सफाई की कमी, गंदे कपड़े पहनने, नहाने के बाद शरीर के ठीक से सूखे बगैर अथवा गीले कपड़े पहनने या फिर इस्तेमाल की हुई रजाई या कंबल के उपयोग से होता है।
अंगुलियों में होती हैं झनझनाहट
अधिक ठंड बढऩे पर हाथ व पैर की अंगुलियों में चिल ब्लेन हो सकता है। ठंड से हाथ-पैर की अंगुलियों में रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, उनमें रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इससे अंगुलियां नीली पड़ जाती हैं। दर्द व झनझनाहट होने लगती है। ठंडे पानी में हाथ डालने पर दिक्कत बढ़ जाती है। सर्दी से नाक व कान भी लाल हो जाते हैं।
ऐसे करें बचाव
जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डा.नवीन वर्मा के अनुसार त्वचा को सूखने से बचाने के लिए उस पर कोल्ड क्रीम लगानी चाहिए। चिल ब्लेन से बचने के लिये पैरों में गर्म मोजे व हाथ में दस्ताने पहनने चाहिए। कोई काम करते समय गुनगुना पानी इस्तेमाल करना चाहिए। नियमित स्नान के साथ साफ-सफाई रखनी चाहिए। दूसरे का खासतौर से संक्रमण पीडि़त व्यक्ति की रजाई या कंबल इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। पीडि़त के कपड़े व चादर आदि गर्म पानी से धोने चाहिए। त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिये हरी सब्जियां, मौसमी फल, सूखे मेवा तथा पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। अधिक समय तक धूप में बैठने से बचना चाहिए। परेशानी बढऩे पर चर्म रोग विशेषज्ञ के परामर्श से दवाएं लेनी चाहिए।