पूर्वांचल में भी पहले घाघरा ही थी सरयू नदी, बलिया में गंगा से होता है मिलन Gorakhpur News

स्थल दक्षिण तिब्बत की मानससर एवं राक्षससर पर्वतमाला से निकलने वाली सरयू अपने सफर में घाघरा ही नहीं हुमला-करनाली कौडियाला और गिरवा जैसे कई और नामों से पहचानी जाती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 14 Jan 2020 03:53 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jan 2020 03:53 PM (IST)
पूर्वांचल में भी पहले घाघरा ही थी सरयू नदी, बलिया में गंगा से होता है मिलन Gorakhpur News
पूर्वांचल में भी पहले घाघरा ही थी सरयू नदी, बलिया में गंगा से होता है मिलन Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। घाघरा नदी अब सरयू के नाम से जानी जाएगी। इस नदी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व पहले से रहा है। प्रदेश सरकार ने घाघरा का सिर्फ नाम ही नहीं बदला बल्कि इसकी पौराणिकता को भी प्रमाणित किया है। नदी अयोध्या से गुजरकर बस्ती जनपद की सीमा में प्रवेश करते हुए गोरखपुर, देवरिया से आगे बढ़ती है और बलिया में गंगा से मिलती है।

उद्गम स्थल दक्षिण तिब्बत की मानससर एवं राक्षससर पर्वतमाला से निकलने वाली सरयू अपने सफर में घाघरा ही नहीं हुमला-करनाली, कौडियाला और गिरवा जैसे कई और नामों से पहचानी जाती है। नदी करदन, तकलकोट होते हुए सियर के पास नेपाल में प्रवेश करती है। यहीं की भेरी नदी से मिलकर इसका नाम कौडियाला और इसके आगे गिरवा हो जाता है। वहां से इसे हुमला-करनाली नाम मिलता है। आगे अयोध्या में सरयू नाम तो मिल जाता था, लेकिन बस्ती और गोरखपुर के दक्षिणांचल में गोला से बढ़कर बड़हलगंज तक पहुंचती है। यहां से देवरिया के बरहज, भागलपुर होते हुए बलिया में जाकर गंगा से मिलती है।

तंत्र शास्त्र के विश्वकोश में है वर्णन

तंत्र शास्त्र के विश्वकोश 'रुद्रयामल' के अनुसार यस्या: पश्चिमतो नद: प्रवहति ब्रह्मात्मजो घर्घर:। सामीप्यं न जहाति यत्र सरयू: पुण्या नदी सर्वदा।। यानी घाघरा नद है जिसे सरयूजी का बड़ा भाई कहा गया है, घाघरा अपनी बहन सरयू की रक्षा में तत्पर रहता है। गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि चंद्रदेव के चंद्रावती अभिलेख के अनुसार सरयू जी की तीन मुख्य धाराएं हैं। एक सरयू जो घाघरा के दाहिने और नेपाल में हिमालय की पहाडिय़ों से निकल कर शारदा व घाघरा के बीच में उसके समानांतर बहती हुई रतनिया घाट से 10 मील दक्षिण में घाघरा से संगम करती है। दूसरी धारा घाघरा के बाएं (मुख्य धारा के पूर्व) बहती है। भारत में इसे सरयू या सरजू कहा जाता है। यह केशवापुर तक दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती हुई, यहां से दक्षिण की तरफ मुड़ जाती है तथा मल्लानपुर के समीप घाघरा में मिल जाती है। केशवापुर से इसकी एक शाखा दक्षिण-पूर्व को बहती है, यह एक लंबा रास्ता तय कर घाघरा में क्रमश: तेघनाहन व पसका के समीप संगम बनाती है। आचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र कहते हैं कि पुराणों में वर्णित पुण्य नदियों के मध्य सर्वत्र सरयू नाम आया है। श्रीरामचरितमानस के रूपक प्रसंग में भी इसका ऐतिहासिक और भौगोलिक वर्णन है।

सरयू की लंबाई

नेपाल से डोरीगंज (बलिया) तक लंबाई- 1080 किमी

नेपाल में 507 किमी व भारत में 573 किमी

बस्ती में 80 किमी, गोरखपुर में 77 किमी 

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