बदले आरक्षण ने बदल दिया 'गांव की सरकार' का गणित, गोरखपुर में 60 फीसद पंचायतों का आरक्षण बदला

अब तक जो लोग साथ खड़े होकर वर्षों से तैयारी में जुटे अपने शुभचिंतक को प्रधान बनाने के लिए कमर कस चुके थे वे ही नई व्यवस्था में उनके सामने खड़े होकर चुनौती देने की तैयारी में जुट गए हैं। जिले के 60 फीसद गांवों में यही स्थिति है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 23 Mar 2021 08:31 AM (IST) Updated:Wed, 24 Mar 2021 08:00 AM (IST)
बदले आरक्षण ने बदल दिया 'गांव की सरकार' का गणित, गोरखपुर में 60 फीसद पंचायतों का आरक्षण बदला
बदले आरक्षण से गोरखपुर में चुनावी गणित गड़बड़ा गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, उमेश पाठक। दो मार्च को आरक्षण आवंटन की सूची जारी होने के साथ ही कई गांवों में प्रधान पद के दावेदाराें की तस्वीर भी साफ हो गई थी। कौन साथ खड़ा होगा और किसके विरोध का सामना करना पड़ेगा, यह भी लगभग तय था लेकिन 21 मार्च को जारी नई सूची ने सारे समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है।

अब तक जो लोग साथ खड़े होकर वर्षों से तैयारी में जुटे अपने शुभचिंतक को प्रधान बनाने के लिए कमर कस चुके थे, वे ही नई व्यवस्था में उनके सामने खड़े होकर चुनौती देने की तैयारी में जुट गए हैं। जिले के 60 फीसद गांवों में यही स्थिति है। तैयारी में लगे अधिकतर लोगों के लिए इस सूची पर विश्वास करना कठिन है और हर स्तर पर प्रयास कर वे सीट बदलवाने की कोशिश में जुटे हैं। जिन गांवों में आरक्षण बदला है, वहां जोड़-तोड़ शुरू हो गया है।

नई सूची ने जिले के 60 फीसद ग्राम पंचायतों में बिगाड़ दिया है चुनाव का गणित

गोरखपुर के हर ब्लाक में बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत प्रधान पदों का आरक्षण बदल गया है। दो मार्च को जारी अनंतिम सूची में 1995 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण का आवंटन किया गया था। वर्षों से कभी अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित न रहने वाले गांव इन वर्गों के लिए आरक्षित कर दिए गए थे। इन गांवों में लंबे समय से प्रभावशाली लोगों का प्रधान पद पर कब्जा था। सूची जारी होने के बाद उन्होंने इस स्थिति को स्वीकार भी कर लिया था और दौड़ से अलग हो गए थे। पर, निस्तारण की प्रक्रिया के आखिरी दिन दाखिल एक जनहित याचिका ने समीकरण का रुख ही मोड़ दिया। 

बढ़ गई दावेदारों की संख्‍या

इस याचिका से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने 2015 को आधार वर्ष मानकर सूची तैयार करने को कहा। इस तरह आयी नई सूची ने दौड़ से हुए अधिकतर प्रभावशाली लोगों को मैदान में वापस ला दिया। उनके चेहरे पर खुशी छा गई है। इसके उलट जो लोग इन प्रभावशाली लोगों का साथ पाकर जीत पक्की मान रहे थे, वे इस बात को लेकर संशय में हैं कि चुनाव लड़ें या पीछे हट जाएं। सहजनवां क्षेत्र के बुदहट गांव पिछली बार आरक्षित था, इस बार अनारक्षित हो चुका है। जिसके चलते दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। रकौली गांव में एक ओबीसी वर्ग से आने वाले प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के पास प्रधानी थी लेकिन इस बार वहां एससी महिला का प्रधान बनना तय है। कैंपियरगंज, बांसगांव, जंगल कौड़िया जैसे ब्लाकों में भी बड़ा उलटफेर हुआ है।

ब्लाक प्रमुख पदों पर भी हुआ बदलाव

बड़े पैमाने पर ब्लाक प्रमुख पदों पर भी बदलाव देखने को मिला है। गोला ब्लाक में प्रमुख की सीट दो मार्च की सूची में अनारक्षित थी, इसलिए कई प्रभावशाली लोगों ने दावेदारी की थी लेकिन इस बार सीट एससी के लिए आरक्षित हो गई है। दावा करने वालों को अब दूसरों पर दांव लगाने को मजबूर होना पड़ा है। बड़हलगंज में प्रमुख की सीट ओबीसी से सामान्य हो गया है। इसी तरह कई और ब्लाकों में प्रमख पदों पर बदलाव नजर आया है।

एससी, ओबीसी एवं महिला के लिए आरक्षित एक दर्जन से अधिक सीटें हुईं सामान्य

दो मार्च को जारी जिला पंचायत सदस्य पद आरक्षण आवंटन की अनंतिम सूची देखकर निराश हो चुके जिले के कई प्रभावशाली दावेदारों के चेहरे खिल उठे हैं। नई सूची उनके लिए खुशी लेकर आयी है। अनुसूचित जाति (एससी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एवं महिला के लिए पिछली सूची में आरक्षित 13 पद इस बार अनारक्षित हो गए हैं। इस सूची के प्रकाश में आने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर दावा करने वालों की संख्या बढ़ सकती है। इसके अलावा एससी एवं ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों में भी बदलाव हुआ है। इसी तरह कई अनारक्षित सीटें महिला के लिए आरक्षित हो गई हैं।

बदल गया चुनावी गणित

पहले जारी आरक्षण आवंटन सूची वर्ष 1995 को आधार बनाकर तैयार की गई थी। एक जनहित याचिका के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2015 को आधार वर्ष बनाकर सूची जारी करने को कहा था। इस बदलाव के बाद बड़े पैमाने पर स्थितियां बदल गई हैं। पिछली सूची में वार्ड नंबर 18 अनारक्षित था तो इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। वार्ड नंबर नौ पुरानी सूची में एससी महिला के लिए आरक्षित था लेकिन इस बार वहां ओबीसी वर्ग का दावेदार प्रतिनिधित्व करेगा। इसी प्रकार वार्ड नंबर 63 पिछली बार एससी के लिए आरक्षित था, इस बार पिछड़ा वर्ग के दावेदारों के बीच लड़ाई होगी। 

दो मार्च को प्रकाशित सूची में वार्ड नंबर 05, 28, 32, 34, 40 एवं 55 अनारक्षित थे लेकिन नई सूची में इन वार्डों को महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। वार्ड नंबर 41 की आरक्षण स्थिति ओबीसी एवं 26 की स्थिति एससी से बदलकर महिला हो गई है। पिछली सूची में वार्ड नंबर 01, 03, 06, 07, 23, 38 महिला के लिए आरक्षित थे, इस बार इन वार्डों को अनारक्षित कर दिया गया है। वार्ड नंबर 19 ओबीसी महिला के खाते से निकलकर अनारक्षित के खाते में आ गया है। वार्ड नंबर 20, 49, 56 एवं 61 को ओबीसी से बदलकर अनारक्षित किया गया है। इसी तरह वार्ड नंबर 24 को एससी से तथा 54 को एससी महिला से बदलकर अनारक्षित किया गया है।

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