राहुल ने कहा, सर आप के चक्कर में फंस गए- जेएन बोला, चिंता मत करो सबकुछ ठीक हो जाएगा
Manish gupta murder case जेल गए दारोगा राहुल दुबे और सिपाही प्रशांत ने बैरक में जेएन सिंह से सामना होते ही कहा कि सर आप के चक्कर में हम लोग फंस गए। सपने में भी नहीं सोचा था यह दिन देखना पड़ेगा। करियर ही बर्बाद हो गया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Manish gupta murder case मनीष गुप्ता हत्याकांड में जेल गए दारोगा राहुल दुबे और सिपाही प्रशांत ने बैरक में जेएन सिंह से सामना होते ही कहा कि सर, आप के चक्कर में हम लोग फंस गए। सपने में भी नहीं सोचा था यह दिन देखना पड़ेगा। करियर ही बर्बाद हो गया। जेएन सिंह ने उन्हें भरोसा दिया कहा कि यह हादसा था चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा।
फरार चल रहे दारोगा राहुल दुबे और सिपाही प्रशांत पूरी तैयारी के साथ सरेंडर करने गोरखपुर आए थे। पुलिस ने जब उनको गिरफ्तार किया तो उनके पास बैग में कपड़े सहित अन्य सामान थे। जेल में दाखिल होने के पहले के उनकी तलाशी ली गई। मेडिकल के बाद उनको नेहरू बैरक में भेज दिया गया। नेहरू बैरक में पहले से इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और दारोगा अक्षय मिश्रा बंद हैं। देर रात तक चारों आपस में बातचीत करते रहे। रात राहुल और प्रशांत को भोजन नहीं मिला। बुधवार की सुबह सबने नाश्ता और भोजन किया। हत्यारोपित पुलिसकर्मियों की निगरानी के लिए नेहरु बैरक में दो आदर्श बंदियों को भी रखा गया है।
अक्षय से मिलने पहुंचा बड़ा बेटा
दारोगा राहुल दुबे और प्रशांत से मिलने कोई नहीं पहुंचा। अक्षय मिश्रा से मुलाकात के लिए उनके बड़े बेटे गौरव मिश्रा ने अर्जी दी थी।जेल में पहुंचकर गौरव ने जगत नारायण और पिता अक्षय से मुलाकात की।उनको आवश्यक सामान भी दिया।
बंदियों ने किया फलाहार, जेल प्रशासन की व्यवस्था
बुधवार को नवरात्रि व्रत रखने वाले बंदियों के लिए जेल प्रशासन ने फलाहार की व्यवस्था की थी।जेल में मिलने पहुंचे स्वजन भी अपने साथ फल व मेवा लेकर आए थे।जेलर प्रेम सागर शुक्ल ने बताया कि जेल में कुल 1050 बंदियों ने अंतिम दिन व्रत रखा।बंदियों के लिए फलाहार की व्यवस्था कराई गई जिनके घर से मुलाकाती आए, उन्होंने भी अपनी तरफ से फल और मिठाई उपलब्ध कराई।
हत्यारोपितों की गिरफ्तारी के बाद संरक्षण दाताओं की खबर लेगी एसआइटी
मनीष हत्याकांड की जांच कर रही कानपुर एसआइटी (विशेष जांच दल) हत्यारोपितों की गिरफ्तारी के बाद उन संरक्षण दाताओं की खबर लेगी, जिन्होंने घटना के बाद आरोपितों को संरक्षण दिया हुआ था। आरोपितों को संरक्षण देना भी अपराध की श्रेणी में है। एसआइटी उन पर विधिक कार्रवाई भी कर सकती है। मनीष की मौत के बाद से एसटीएफ सहित गोरखपुर व कानपुर की 16 टीमें हत्यारोपितों की तलाश में लगी हुई थीं। नौ जिलों में सघन छापेमारी के 14 दिन बाद पांच हत्यारोपितों की गिरफ्तारी हो सकी है। इतने दिनों तक हत्यारोपित कहां रहे, जबकि उन पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। जिसने उन्हें संरक्षण दिया, उसने इसकी सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी। ऐसे में एसआइटी की तैयारी है कि वह सभी आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद इसकी जानकारी लेगी कि हत्यारोपित छिपे कहां थे। उन्हें संरक्षण किसने दिया। ताकि उस पर भी विधिक कार्रवाई हो सके।