गोरखपुर में बेअसर हुआ पॉलीथिन पर प्रतिबंध, अब खुलेआम हो रही बिक्री

सरकार ने पालीथिन पर 15 अगस्त से ही प्रतिबंध लगाया हुआ है। गोरखपुर शहर में इसका कोई असर नहीं है। अब तो खुलेआम बिक्री हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Dec 2018 09:13 AM (IST) Updated:Wed, 26 Dec 2018 09:13 AM (IST)
गोरखपुर में बेअसर हुआ पॉलीथिन पर प्रतिबंध, अब खुलेआम हो रही बिक्री
गोरखपुर में बेअसर हुआ पॉलीथिन पर प्रतिबंध, अब खुलेआम हो रही बिक्री

गोरखपुर, जेएनएन। शहर में पॉलीथिन पर प्रतिबंध बेअसर हो गया है। पॉलीथिन की बिक्री और उसका प्रयोग अब खुलेआम हो रहा है। मुख्यमंत्री का शहर होने का कोई मतलब नहीं है।

प्रदेश सरकार ने 15 अगस्त से पॉलीथिन (पचास माइक्रॉन से पतले) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। सख्ती के कारण शुरुआती दौर में इसका असर दिखाई पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे पॉलीथिन का प्रयोग आम हो गया। किराना, फल और सब्जी के दुकानों पर इसका खुलेआम प्रयोग हो रहा है। पॉलीथिन के कारण ही शहर के अधिकांश नाले-नालिया चोक हो जाते हैं। इसके खिलाफ नगर निगम ने जो अभियान चलाया वह भी नाकाफी साबित हुआ।

पतली पॉलीथिन का इस्तेमाल करना और उसकी खरीद-बिक्री पर 15 अगस्त से ही सख्ती से रोक लगी हुई है। पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ जुर्माना और सजा का भी प्रावधान है। शुरुआती दौर में नगर निगम, प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम सड़क पर उतरी तो बहुत हद तक पॉलीथिन पर रोक लग गई। इस दौरान टीम ने महानगर के अलग-अलग हिस्सों से करीब 21 क्विंटल पॉलीथिन जब्त किया और 4.25 लाख रुपये जुर्माना भी वसूला। इस दौरान आम लोगों ने भी पॉलीथिन का प्रयोग करना बंद कर दिया था। फल और सब्जी खरीदने को लोग घरों से झोला लेकर निकलने लगे थे। इसको लेकर अफसरों ने ढिलाई बरतना शुरू किया तो फिर से पॉलीथिन प्रचलन में आ गया। दिसंबर माह में पॉलीथिन के खिलाफ अधिकारी व कर्मचारी सड़क पर ही नहीं उतरे। इसी का फायदा उठाकर दुकानदार और ठेले-खोमचे वाले खुलेआम पॉलीथिन का प्रयोग करने लगे हैं और कहीं से भी प्रतिबंध का असर दिखाई नहीं दे रहा है।

इसलिए लगाया गया था प्रतिबंध

50 माइक्रॉन से मोटी प्लास्टिक को री-साइकल किया जा सकता है, जबकि उससे पतली प्लास्टिक के साथ ऐसा नहीं हो सकता। इस वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुये रोक लगाई गई है। प्रतिबंध में प्लास्टिक के वे डिस्पोजेबल कप और गिलास भी आते हैं जिन पर पतली पॉलीथिन की लेयर होती है या पतली प्लास्टिक से बने होते हैं।

जनवरी में चलेगा अभियान

अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा का कहना है कि अतिक्रमण हटाने और स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारी को लेकर अधिकारी व कर्मचारी व्यस्त थे इसलिए दिसंबर में प्रतिबंधित पॉलीथिन के खिलाफ अभियान नहीं चल सका। जनवरी से प्रशासन के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा।

एक नजर अब तक की कार्रवाई पर माह जब्ती क्विंटल में जुर्माना

जुलाई 8.58 1.8 लाख

अगस्त 3.86 97 हजार

सिंतबर 2.05 1.42 लाख

अक्टूबर 2.90 25 हजार

नवंबर 4.12 52 हजार

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