Ground Report: तनाव के बीच नेपालियों के जीवन रक्षक बने भारतीय रिश्तेदार

India-Nepal tension भारत नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए तनाव में नेपालियों के भारतीय रिश्तेदार उनके जीवन रक्षक बन गए हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 10:06 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 09:03 AM (IST)
Ground Report: तनाव के बीच नेपालियों के जीवन रक्षक बने भारतीय रिश्तेदार
Ground Report: तनाव के बीच नेपालियों के जीवन रक्षक बने भारतीय रिश्तेदार

शैलेन्द्र श्रीवास्तव, सोनौली (महराजगंज) । कोरोना की त्रासदी में भारत-नेपाल की सीमाएं सील होने से लखनऊ, दिल्ली व गोरखपुर में इलाज कराने वाले नेपालियों के सामने दवा का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में नेपाली परिवारों के लिए भारतीय रिश्तेदार जीवनरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं। वह न केवल बार्डर पर जाकर पर्चा लेते हैं, बल्कि सोनौली से दवा खरीदकर पहुंचाते भी हैं। इस दौरान 'नो मेन्स लैंड' पर घंटों इंतजार करने वाले नेपाली परिवार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर सीमा विवाद को लेकर दोनों देश के रिश्तों में खटास और ज्यादा बढ़ी तो उनकी यह जरूरतें कहां से और कैसे पूरी होंगी।

भारत में आकर कराते हैं इलाज

भारत के सोनौली और नेपाल के बेलहिया बार्डर पर 'नो मेन्स लैंड' क्षेत्र में रोजाना 150 से 200 लोग सुबह से शाम तक खड़े मिलते हैं। इनमें सर्वाधिक नेपाल के रूपनदेही, नवलपरासी, कपिलवस्तु और पाल्पा जिले के होते हैं। यहां के ज्यादातर लोग अपने गंभीर मर्ज का इलाज भारत में आकर कराते हैं। लखनऊ, गोरखपुर के डॉक्टरों की लगभग सभी दवाएं सोनौली बार्डर स्थित मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाती हैं। कोरोना के पहले तक तो सब कुछ सामान्य था, लेकिन लॉकडाउन में सीमाएं सील हुईं तो उनके जेहन में भविष्य को लेकर असमंजस भरे कई सवाल जन्म लेने लगे। नो मेन्स लैंड पर दवा के इंतजार में बैठीं भैरहवा के सुदूर गांव बंगाई से आई शैरु छेत्री ने बताया कि पिछली दवा एक हफ्ते में खत्म हो गई। किसी तरह यहां पहुंची हूं। नौतनवा में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार का इंतजार कर रही हूं। उन्हें पर्चा दूंगी, जिसके बाद वह दवा लाकर देंगे।

उठानी पड़ रही है भारी परेशानी

रूपनदेही के कोटिहवा गांव की शानू खड़का तो इस बात से चिंतित थीं कि अभी लॉकडाउन में सीमाएं सील होने के चलते इतनी परेशानी उठानी पड़ रही है, अगर सीमा विवाद के चलते कोई अप्रिय स्थिति हुई तो क्या होगा। नेपाल का बड़ा हिस्सा भारत के भरोसे है। सोनौली के दवा विक्रेता जन्मेजय कुमार ने बताया कि काठमांडू में बैठे लोग रिश्तों की परिभाषा चाहे जैसे गढ़ लें कि लेकिन इस सीमा पर हमारे रिश्तों की डोर बहुत मजबूत है। हम इस बात का ख्याल रखते हैं कि नेपालियों को कोई तकलीफ न हो। जरूरत पर हम लोग खुद दवा पहुंचा रहे हैं।

पर्यटन स्थलों पर छाई है वीरानी

भारत-नेपाल सीमा सील होने से नेपाल का पर्यटन उद्योग लडख़ड़ा गया है। कोरोना के चलते सीमाएं सील होने की वजह से नेपाल के लुंबिनी, बुटवल, पोखरा, काठमांडू जैसे पर्यटन स्थलों पर वीरानी छाई है।

बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी जाने के लिए भारत, जापान, श्रीलंका, तिब्बत, कोरिया सहित विभिन्न देशों के बौद्ध धर्मावलंबी नेपाल पहुंचते हैं, लेकिन सोनौली सीमा सील होने के चलते यहां के मुख्य मंदिर और होटल भी सूने पड़े हैं। ऐसे में सीमा को लेकर खड़ा हुए नए विवाद ने भी नेपाली नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर में दर्शन के लिए सामान्य दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी। पर्यटकों के आने से पोखरा शहर भी गुलजार रहता था, लेकिन सीमा सील होने की वजह से यहां के पर्यटक उद्योग का पहिया भी थम गया है।

होटल व्यवसायी चाहते हैं बेहतर संबंध

भैरहवा के होटल व्यवसायी रमेश गुरूंग, शमशेर थापा व हीरा गुरूंग ने बताया कि मार्च से ही व्यवसाय पूरी तरह ठप है। जिन होटलों में जून, जुलाई में नो रूम का बोर्ड टंगा रहता था वहां इस समय सन्नाटा है। कोरोना संक्रमण तो धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा, लेकिन भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर जो तनाव चल रहा है , उससे मन चिंतित है। होटल संचालकों को इस बात की चिंता है कि अगर सीमाएं अधिक दिनों तक सील रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब नेपाल में आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। 

chat bot
आपका साथी