फ‍िराक जयंती : ऐसे हुई थी फ‍िराक गोरखपुरी की शादी, कुआं खोद बरातियों को पिलाया गया पानी Gorakhpur News

फ‍िराक गोरखपुरी की शादी में बरात जाने वाले बरातियों को रास्ते में पानी पीने के लिए तीन कुएं भी खुदवाए गए थे जिसमें एक अब भी तिनहरा गांव के पास मौजूद है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 28 Aug 2019 12:04 PM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 01:59 PM (IST)
फ‍िराक जयंती : ऐसे हुई थी फ‍िराक गोरखपुरी की शादी, कुआं खोद बरातियों को पिलाया गया पानी Gorakhpur News
फ‍िराक जयंती : ऐसे हुई थी फ‍िराक गोरखपुरी की शादी, कुआं खोद बरातियों को पिलाया गया पानी Gorakhpur News

गोरखपुर, संतोष गुप्ता। गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक के ग्राम सभा अडि़लापार तथा बेलवाडाड़ी गांव के लोगों में फिराक की शादी के शहनाई की गूंज की याद आज भी ताजा है। अडि़लापार से बेलवाडाड़ी बरात जाने वाले बरातियों को रास्ते में पानी पीने के लिए तीन कुएं भी खुदवाए गए थे, जिसमें एक अब भी तिनहरा गांव के पास मौजूद है। कुएं को देखकर रघुपति सहायक उर्फ फिराक गोरखपुर की याद लोगों के दिलों में हमेशा बनी रहती है।

29 जून 1914 को आई थी बरात

28 अगस्त 1896 को जन्मे रघुपति सहायक उर्फ फिराक गोरखपुर की स्मृतियां सहजनवां तहसील के पिपरौली ब्लाक में आने वाले ग्राम सभा अडि़लापार से भी जुड़ी हैं। फिराक के पिता मुंशी गोरख प्रसाद गोरखपुर के प्रतिष्ठित वकील थे और प्रतिदिन इक्का से आते-जाते थे। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद फिराक गोरखपुरी की शादी उनके पिता ने अडि़लापार से लगभग आठ किमी दूर बेलवाडाड़ी में तय कर दी। 29 जून 1914 को उनका विवाह बेलवाडाड़ी के प्रसिद्ध जमींदारविंदेश्वरी प्रसाद की बेटी किशोरी देवी के साथ होने के लिए गांव से बरात जानी थी।

तीन कुएं खोदे गए

बरातियों को रास्ते में पानी की कमी नहीं हो, इसके लिए तीन कुएं भी पहले से खोद दिया गया था। साथ ही गोरखपुर के शादी की रस्में अडि़लापार वाले मकान से ही की गई है। दोपहर के समय तिनहरा गांव के पास बराती पहुंचे तो सबको कुएं का ही पानी पिलाया गया। देर शाम को बेलवाडाड़ी बरात पहुंची थी।

अब खंडहर बनता जा रहा है अडि़लापार का मकान

अडि़लापार के जिस कच्‍चे मकान से फिराक गोरखपुरी की शादी की शहनाई बजी थी वह आज उपेक्षा का शिकार हो गया है। खपरैल का क कच्‍चा मकान अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और वहां कोई रहने वाला भी नहीं है। देखरेख के अभाव में मकान का कुछ हिस्सा धीरे-धीरे गिर रहा है। हालांकि इस मकान को गांव के ही परिवार के तरफ से खरीद लिया गया है। गोरखपुरी से जुड़ी धरोहर पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह केवल इतिहास की बातें बन कर रह जाएगी।

ससुराल बेलवाडाड़ी में नहीं रहता परिवार का कोई सदस्य

बेलवाडाड़ी के जमींदार ङ्क्षवदेश्वरी प्रसाद के घर पर फिराक गोरखपुरी की शादी जरूर हुई, लेकिन अब वहां पर रहने के लिए ससुराल का कोई सदस्य नहीं है। गांव के मकान को ससुराल के लोग दूसरे को देकर बाहर चले गए और पुराने मकान को गिरा कर नया मकान बना लिया गया है। 

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