पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है ई-रिक्शा की बैटरी

गुणवत्ता विहीन बैटरी के इस्तेमाल से ई-रिक्शा भी पर्यावरण के लिए घातक बनते जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Jul 2022 12:21 AM (IST) Updated:Mon, 04 Jul 2022 12:21 AM (IST)
पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है ई-रिक्शा की बैटरी
पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है ई-रिक्शा की बैटरी

पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है ई-रिक्शा की बैटरी

देवरिया: जिले में ई-रिक्शा सड़कों पर बिना रुट के फर्राटा भर रहे हैं। ई-रिक्शा में लगने वाली बैटरी अगर बेहतर गुणवत्ता की नहीं है तो यह पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचा सकती है। मानक विहिन क्वालिटी की बैटरी से निकलने वाले हानिकारक तत्व पर्यावरण के लिए घातक साबित हो सकते हैं। इसके निस्तारण के लिए जिले में कोई इंतजाम नहीं किया गया है।

जिले में 2700 ई-रिक्शा संचालित होते हैं। ई-रिक्शा चलने से लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में राहत तो मिलती है, लेकिन यह पर्यावरण के लिए घातक हो सकते हैं। ई-रिक्शा को सड़कों पर उतारने के पीछे सरकार की मंशा डीजल-पेट्रोल से होने वाले प्रदूषण को कम करना है। ई-रिक्शा से धुआं नहीं निकलता, लेकिन ई-रिक्शा की गुणवत्ता विहीन बैटरी के इस्तेमाल से ई-रिक्शा भी पर्यावरण के लिए घातक बनते जा रही है।

गुणवत्ता विहीन बैटरी सर्वाधिक घातक

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि कई कंपनियां ई-रिक्शा के लिए गुणवत्ता विहिन की बैटरी बना रही है। यह बैट्री छह माह से एक वर्ष तक चलती है। ई-रिक्शा चालक इन खराब बैटरियों को ई-रिक्शा डीलर अथवा पुरानी बैटरी खरीदने वालों को दे देते हैं। खराब बैटरी के निस्तारण के लिए जिले में कोई इंजताम नहीं है। खास बात यह है कि कम गुणवत्ता की बैटरी की कीमत काफी सस्ता है, इसलिए ई-रिक्शा चालक का विश्वास सबसे ज्यादा उसी बैटरी पर रहती है।

बैटरी को जब गलाया जाता है तो उसमें से खतरनाक लेड धातु निकलती है। इसके कण मिट्टी व हवा में घुल जाते हैं, जिससे मिट्टी की सेहत बिगड़ जाती है। यह पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है।

डा. विनय कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान, बीआरडीपीजी कालेज, देवरिया

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