Coronavirus Lockdown Day 4 : दिल्ली में भूखों मरने से अच्छा है साइकिल से घर चलें, जानें- सिद्धार्थनगर कैसे पहुंचा दिव्यांग युवक Gorakhpur News
उसने बताया कि लॉक डाउन की घोषणा के बाद से दिल्ली में राशन तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। भूखों मरने से बेहतर घर आना उचित समझा।
रितेश वाजपेयी, सिद्धार्थनगर, जेएनएन। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहा है। प्रदेशों की सीमाएं सील हैं। यातायात के सभी साधन बंद हैं। ऐसे में दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले अपने गांव जैसे-तैसे लौट रहे हैं। पैर से दिव्यांग एक व्यक्ति तो साइकिल से ही दिल्ली से बांसी तक की दूरी तय करते हुए अपने घर पहुंच गया। नाप दिया। दिल्ली से सिद्धार्थनगर तक 675 किलोमीटर की दूरी तय करने में उसे कुल चार दिन लगे।
शनिवार सुबह करीब आठ बजे उक्त दिव्यांग जब बांसी पहुंचा तो रोडवेज चौराहे पर पुलिस की निगाह उस पर पड़ गई। पूछताछ में उसने अपना नाम 40 वर्षीय दिलीप कुमार राजभर निवासी गोल्हौरा थाना क्षेत्र के ग्राम बेलवा बाबा बताया। वह दिल्ली के करोल बाग में रहकर 10 वर्ष से कबाड़ी का काम करता है।
दिल्ली में राशन तक की व्यवस्था नहीं
उसने बताया कि लॉक डाउन की घोषणा के बाद से दिल्ली में राशन तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। भूखों मरने से बेहतर घर आना उचित समझा। पहले साधन से आने के लिए इधर उधर भटकता रहा। जब कहीं से कोई साधन नहीं मिला तो साइकिल से ही चल दिया।
23 मार्च को निकला साइकिल से
उसने बताया कि वह 23 मार्च की शाम को करोल बाग स्थित अपने क्वाटर से निकला। रास्ते मे एक जगह एक दिन केवल भोजन मिला । रात दिन साइकिल चलाते व पानी पीते यहां तक शनिवार की सुबह पहुंचा हूं।
पुलिस ने बैठाया, पानी पिलाया
दिव्यांग दिलीप पसीने से तर बतर था। कोतवाली के उपनिरीक्षक रविकांत मणि, अजय सिंह व आरक्षी रमाकांत यादव, जय सिंह चौरसिया ने उसे आराम से बैठाया । पानी पिलाया व एक फल की दुकान को खुलवा कर उसे केला व सेब खिलाया।
पुलिस ने कराई जांच
इसके बाद रोडवेज चौराहे पर लगी स्वास्थ्य टीम से उसकी जांच करा उसे घर जाने दिया। पुलिस ने उसे समझाया कि घर पहुंच कर दरवाजे पर ही अपने सारे कपड़ों को उतार देना और उसे गर्म पानी कराकर उसमें डाल देना। खुद भी इसके बाद साबुन लगा कर नहा लेना फिर घर के अंदर जाना। पर इसका भी ध्यान देना की परिवार के सदस्यों से 14 दिन तक दूरी बनाकर रहना। हेल्पलाइन नंबर देते कहा कि किसी समस्या पर फोन से सूचित करना।
रात 12 बजे तक चलाता था साइकिल
दिव्यांग ने बताया कि कुछ खाने-पीने के सामान वह साथ ले लिया था। जब अपने पास का सामान समाप्त हो गया तो रास्ते में सीतापुर से पहले एक छोटी दुकान पर रोटी चावल सब्जी ग्रहण किया। रात में 12 बजे तक साइकिल चलाता रहता और फिर कहीं किसी दुकान की बेंच पर सो जाता अलस्सुबह फिर मुंह हाथ धोकर चल देता।