Corona Warrior: 80 फीसद फेफड़ा संक्रमित, फिर भी घर पर ही जीत ली कोरोना से जंग

कोरोना वायरस से संक्रमित गोरखपुर की पुष्पा देवी का फेफड़ा 80 फीसद संक्रमित हो गया था। आक्सीजन स्तर 85 फीसद तक आ गया था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। डाक्टरों के परामर्श पर दवाएं ली। भाप व गरारा किया। 10 दिन में ही उन्होंने कोरोना को मात दे दी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 06:59 PM (IST)
Corona Warrior: 80 फीसद फेफड़ा संक्रमित, फिर भी घर पर ही जीत ली कोरोना से जंग
घर पर रहकर कोरोनावायरस को हराने वाली पुष्पा देवी। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों, यदि धैर्य, साहस व मनोबल ऊंचा है तो कोरोना से घर में ही जंग जीती जा सकती है। इसे साबित किया है बजरंग कालोनी, लच्छीपुर की पुष्पा देवी ने। उनका फेफड़ा 80 फीसद संक्रमित हो गया था। आक्सीजन स्तर 85 फीसद तक आ गया था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। डाक्टरों के परामर्श पर दवाएं ली। भाप व गरारा किया। 10 दिन में ही उन्होंने कोरोना को मात दे दी।

अस्पताल में जगह नहीं मिली तो घर पर शुरू किया इलाज

पुष्पा देवी 15 अप्रैल को कुंभ स्नान करके घर लौटी थीं। उनको सीने में दर्द, बुखार व खांसी थी। जांच कराने पर कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन सीटी स्कैन कराने पर 80 फीसद फेफड़ा संक्रमित मिला। डाक्टरों ने कोरोना बताते हुए उन्हें घर पर आइसोलेट होने को कहा। दो दिन बाद उनका आक्सीजन स्तर 85 पर आ गया। चिकित्सकों ने लेवल थ्री अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। लेकिन उस समय कहीं अस्पताल में बेड न खाली होने से उन्होंने घर पर इलाज कराने का फैसला लिया। वह स्वयं घर के सदस्यों का मनोबल बढ़ाती रहीं। हिम्मत और हौसले से उन्होंने 10 दिन में ही कोरोना को मात दे दी।

कोरोना से लड़ाई में भूल गए सुख-चैन

सेहत महकमे के हर अधिकारी-कर्मचारी ने अपने तरीके से कोरोना से जंग लड़ी। सहायक शोध अधिकारी केपी शुक्ला इस लड़ाई में अपना सुख-चैन भूल गए। अप्रैल में कोरोना संक्रमण के रफ्तार पकड़ने से लेकर आज तक उन्होंने कोई अवकाश नहीं लिया। रविवार के दिन भी कार्यालय में आकर संक्रमितों, अस्पतालों में भर्ती मरीजों व उनसे संबंधित सभी डाटा तैयार करते रहे। जब कहीं बेड खाली नहीं थे, उस समय कंट्रोल रूम से उनका मोबाइल नंबर दे दिया जाता था। अपना काम करते हुए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों की मदद की और भर्ती कराए।

सुबह से रात तक करते हैं काम

केपी शुक्ला को कोरोना से जुड़े सभी डाटा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। सुबह आठ बजे कार्यालय पहुंच जाते हैं और रात 11 बजे तक डाटा तैयार करते रहते हैं। जिला प्रशासन को डाटा भेजना हो या शासन को अथवा मीडिया को कोरोना रिपोर्ट देनी हो, सारा काम वही करते हैं। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग के कोविड अस्पतालों में पहुंचते हैं और वहां की कमियों को दुरुस्त करने की कोशिश करते हैं। मरीजों की समस्या जानने वह उनके बीच भी जाते रहे। लेकिन सतर्कता व बचाव के चलते अभी तक संक्रमण से बचे हुए हैं। उनका कहना है कि यह संकट का समय है।

अवकाश के दिन भी करते हैं पूरा काम

अवकाश के दिन काम करने के लिए किसी ने नहीं कहा था लेकिन इसे मैं अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए रोज कार्यालय आता था, जरूरत पड़ने पर अस्पतालों में जाता था। सभी 47 कोविड अस्पतालों से रोज का डाटा लेकर पोर्टल पर फीड करता था। इसके अलावा मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहा। अनेक ऐसे लोगों के इलाज की व्यवस्था कराई, जिन्हें मैं जानता तक नहीं था। उन्हें किसी ने मेरा नंबर दे दिया था। अप्रैल में जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था तो कई दिन तक सो नहीं पाया। लेकिन आज खुशी हो रही है कि इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भगवान ने मेरे हाथों मदद कराई।

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