दवाओं का मनमाना दाम नहीं रख सकेंगी कंपनियां, शासन ने बनाई तीन सदस्यीय कमेटी Gorakhpur News

बाजार में दवाओं के दामों में काफी असमानता है। अवसाद की बीमारी के टैबलेट टिप्टोमर के 10 एमजी (मिलीग्राम) और 25 एमजी का दाम बराबर है। थायराइड की दवा थायरोनार्म के 75 एमजी का दाम 100 एमजी से अधिक है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 08 Mar 2021 09:02 AM (IST) Updated:Mon, 08 Mar 2021 03:16 PM (IST)
दवाओं का मनमाना दाम नहीं रख सकेंगी कंपनियां, शासन ने बनाई तीन सदस्यीय कमेटी Gorakhpur News
दवाओं की कीमत कंट्रोल में रखने के लिए शासन ने तीन सदस्‍यीय कमेटी बनाई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। अब कंपनियां दवाओं का मनमाना दाम नहीं तय कर सकतीं। शासन के निर्देश पर प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर ने दवाओं के मूल्य पर नियंत्रण के लिए तीन विशेषज्ञों की कमेटी बनाई है। साथ ही उन्होंने दवा विक्रेता समितियों को पत्र लिखकर इस कार्य में सहयोग मांगा है।

मूल्‍य में होती है काफी असमानता

बाजार में दवाओं के दामों में काफी असमानता है। अवसाद की बीमारी के टैबलेट टिप्टोमर के 10 एमजी (मिलीग्राम) और 25 एमजी का दाम बराबर है। थायराइड की दवा थायरोनार्म के 75 एमजी का दाम 100 एमजी से अधिक है। इसके साथ ही दर्द निवारक मलहम वालीनी जेल के 15 ग्राम का रेट 10 ग्राम के रेट से दो गुना से अधिक है। दवा समितियों ने इसकी शिकायत ड्रग कंट्रोलर से की थी। 

कैसे तय होता है मूल्‍य, होगी जांच

उन्होंने नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथारिटी, शेड्यूल्ड ड्रग प्राइस और नान शेड्यूल ड्रग फार्मूलेशन की दवाओं के मूल्यों की जांच कराने का फैसला लिया है। इसकी जांच के लिए गठित कमेटी में गोविंद राय, विमल चंद्र पांडेय व विवेक कुमार पांडेय को शामिल किया गया है। तीनों सदस्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर एक ही दवा के अलग-अलग पैकेट के दामों की तुलना करने के साथ ही अन्य गड़बड़ियों की भी जांच करेंगे। वे दवा व्यापारियों से भी मुलाकात करेंगे और जानकारी हासिल करेंगे।

शासन ने बड़ा फैसला लिया है। इससे कंपिनयों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। कम एमजी की दवा अधिक दाम में और अधिक एमजी की दवा कम दाम में मिल रही है। एक ही दवा अलग-अलग ब्रांडों की है तो उसके दाम में भी काफी असमानता है। डाक्टर के लिखने के मुताबिक मरीज महंगी दवाओं को खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं। एक तरह की दवाओं के दाम भी लगभग बराबर होने चाहिए, चाहे वह दवा किसी भी कंपनी की हो। इस कार्य में दवा व्यापारी पूरा सहयोग करेंगे। - डा. आलोक चौरसिया, महामंत्री दवा विक्रेता समिति

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