डॉ. कफील का एक और कारनामा : कफील बोले-मैं बरी, शासन ने कहा -जांच जारी

डॉ. कफील भले ही यह दावा कर रहे हैं कि मामले की जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है लेकिन शासन का कहना है कि प्रकरण की जांच अभी जारी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 09:49 AM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 10:15 AM (IST)
डॉ. कफील का एक और कारनामा : कफील बोले-मैं बरी, शासन ने कहा -जांच जारी
डॉ. कफील का एक और कारनामा : कफील बोले-मैं बरी, शासन ने कहा -जांच जारी

गोरखपुर, जेएनएन। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के आरोपी डॉ.कफील ने मीडिया को एक बार फिर गुमराह किया है। डॉ. कफील भले ही यह दावा कर रहे हैं कि मामले की जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है, लेकिन शासन का कहना है कि प्रकरण की जांच अभी जारी है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने डॉ.कफील के दावे को गलत ठहराते हुए कहा कि मामले की जांच अभी चल रही है। इसलिए अभी क्लीन चिट का कोई सवाल ही नहीं उठता।

उधर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारी भी कह रहे हैैं कि उन्होंने बच्चों की मौत के आरोपी डॉ. कफील अहमद खान को कोई जांच रिपोर्ट नहीं दी है लेकिन, कफील ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता करके दावा किया कि उन्हें रिपोर्ट इन्हीं लोगों से मिली है। कफील के मुताबिक जांच अधिकारी व तत्कालीन प्रमुख सचिव स्टांप व निबंधन हिमांशु कुमार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है, जबकि हिमांशु कुमार से कई बार संपर्क करने के बावजूद न उनका फोन उठा और न ही मैसेज का जवाब आया।

गोरखपुर में शुक्रवार को पत्रकारों को डॉ.कफील ने बताया कि हिमांशु कुमार की 18 अप्रैल को जारी रिपोर्ट में उन्हें क्लीनचिट दी गई है, जबकि मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.गणेश कुमार का कहना है कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, अलबत्ता जांच अधिकारी बदलने का पत्र शासन से जरूर आया था, जिसे डॉ.कफील को रिसीव करा दिया गया है।

मेडिकल कालेज के नेहरू चिकित्सालय में भर्ती गंभीर मरीजों के समुचित उपचार में घोर लापरवाही, वित्तीय अनियमितता और कार्य-दायित्वोंका निर्वहन न करने के आरोप में पीडियाट्रिक्स विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ.कफील अहमद खान के विरुद्ध विभागीय जांच चल रही थी।

डॉ.कफील ने निकाला गलत निष्कर्ष

डॉ.कफील के दावे के बाद एक जांच रिपोर्ट सामने आई और फिर इसे लेकर शासन का पक्ष भी सामने आया। सूत्रों के मुताबिक डॉ. कफील के दावे पर कहा गया कि उन्होंने जांच आख्या के निष्कर्षों की स्वैच्छिक व भ्रामक व्याख्या की है, जबकि अब तक उनके विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही में अंतिम निर्णय नहीं किया गया है।

शासन की ओर से कहा गया कि जांच की कार्यवाही में अंतिम निर्णय किए जाने से पहले डॉ.कफील को अपना पक्ष रखने के लिए जांच आख्या भेजी गई थी, जिसका कफील ने मिथ्या प्रस्तुतिकरण किया है। कहा गया कि कफील पर लगे चार आरोपों में से प्राइवेट प्रैक्टिस संबंधी दो आरोप पूरी तरह सही पाए गए हैैं, जिन पर निर्णय की कार्यवाही प्रक्रिया में हैै। डॉ. कफील पर तीन अन्य आरोपों के साथ विभागीय कार्यवाही भी चल रही है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी को अब इस मामले का जांच अधिकारी बनाया गया है।

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प्राचार्य कार्यालय से मिला पत्र : डा. कफील

डा. कफील अहमद ने कहा कि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा कार्यालय से पत्र प्राचार्य कार्यालय में आया था, जो उन्हें गत बुधवार को रिसीव कराया गया है।

जांच अधिकारी बदलने का था पत्र : प्राचार्य

मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डा. गणेश कुमार ने कहा कि डा. कफील को क्लीनचिट मिलने की जानकारी उन्हें नहीं है। जांच अधिकारी बदले गए हैं, जिसके संबंध में पिछले सप्ताह शुक्रवार को शासन से पत्र आया था, जिसे डा. कफील को रिसीव करा दिया गया है।

यह है मामला

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 11-12 अगस्त 2017 की रात बच्चों की मौत हो गई थी। इसमें प्राचार्य तथा डॉ. कफील समेत कई चिकित्सक जेल तो गए ही थे, विभागीय स्तर पर इसकी जांच भी चल रही है। इस मामले में तत्कालीन प्राचार्य डा. राजीव मिश्रा, डा. सतीश कुमार, डा. कफील अहमद खान, डा. पूर्णिमा शुक्ला समेत नौ लोगों को जेल भेजा गया था। 

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