कैदियों में संस्कार भर रहीं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें Gorakhpur News

गीता प्रेस द्वावारा मासिक पत्रिका कल्याण श्रीरामचरितमानस श्रीमद्भागवत पुराण श्रीमद्भगवद्गीता व प्रेरक कहानियों की पुस्तकें प्रति वर्ष गोरखपुर जेल में भेजी जाती हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 06:30 PM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 10:11 PM (IST)
कैदियों में संस्कार भर रहीं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें Gorakhpur News
कैदियों में संस्कार भर रहीं गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। गीताप्रेस की पुस्तकें जेल के कैदियों में संस्कार भर रही हैं। मासिक पत्रिका कल्याण, श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भागवत पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता व प्रेरक कहानियों की पुस्तकें अधिक संख्या में मंडलीय जेल प्रति वर्ष भेजी जाती हैं। इस बार भी कल्याण की 400 प्रतियां व अन्य किताबें पहुंचीं। शुक्रवार को सिविल जज प्रीती व प्रीतिमाला चतुर्वेदी, जेल अधीक्षक डा. रामधनी, जेलर प्रेम सागर शुक्ल व विनोद कुमार ने 20  कैदियों में इसे वितरित किया और शेष किताबों को बैरकों में कैदियों के पास भेजा।

जेल में तीन साल से बांटी जा रहीं धार्मिक पुस्तकें

इसका उद्देश्य यह है कि कैदियों में सकारात्मक भाव पैदा हो और वे समाज निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकें। आमजन में धार्मिक भावना व सदाचार विकसित करने के लिए गीताप्रेस धार्मिक पुस्तकों को लागत से 30 से 60 फीसद कम मूल्य पर उपलब्ध कराता है। यह कार्य अपने स्थापना वर्ष 1923 से कर रहा है। समाज का वह तबका जो पुस्तकें सस्ते दामों पर भी न खरीद सके, उसे पुस्तकें निश्शुल्क भी उपलब्ध कराता है। इसी क्रम में यहां मंडलीय जेल में पुस्तकें भेजने का सिलसिला तीन वर्ष पहले शुरू किया। अबकी भेजी गई पुस्तकों में कल्याण के मासिक अंकों की चार सौ प्रतियां हैं। कल्याण के विशेषांक 'राधा-माधव अंक' की 72 प्रतियों के अलावा प्रेरक कहानियों, आरती व चालीसा की अधिक संख्या में पुस्तकें शामिल हैं।

पिछले तीन साल से लगातार प्रतिवर्ष ये धार्मिक पुस्तकें जेल में आती हैं, इस वर्ष भी गीताप्रेस से अधिक संख्या में आई किताबों को बांटा गया। इनके पढऩे से कैदियों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। - डॉ. रामधनी, जेल अधीक्षक, गोरखपुर

15 भाषाओं में होता है प्रकाशन

गीताप्रेस से 15 भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन होता है। इन भाषाओं में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उडिय़ा, असमिया, उर्दू,  पंजाबी व नेपाली है।

98 पुस्तकें हुई डिजिटल

गीताप्रेस से प्रकाशित 98 पुस्तकों का ई-वर्जन पीडीएफ फार्मेट में गीताप्रेस की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है, जिन्हें कहीं भी निश्शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। साथ ही सभी पुस्तकों व लगभग दो हजार से अधिक फोटो का डिजिटल बैकअप तैयार हो चुका है, उन्हें अपलोड करने की तैयारी चल रही है।

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