गोरखनाथ मंदिर में सिर्फ गोशाला ही नहीं, जैविक खाद की इकाई भी होती है संचालित Gorakhpur News

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोवंश प्रेम तो जगजाहिर है। इस नाते गोरखनाथ मंदिर में जैविद खाद का निर्माण भी होता है।

By Edited By: Publish:Mon, 17 Feb 2020 06:35 AM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 12:43 PM (IST)
गोरखनाथ मंदिर में सिर्फ गोशाला ही नहीं, जैविक खाद की इकाई भी होती है संचालित Gorakhpur News
गोरखनाथ मंदिर में सिर्फ गोशाला ही नहीं, जैविक खाद की इकाई भी होती है संचालित Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोवंश प्रेम तो जगजाहिर है पर कम ही लोगों को पता है कि गोरखनाथ मंदिर की गोशाला के एक हिस्से में जैविक खाद निर्माण की एक इकाई भी है। गोरखनाथ मंदिर में हर 40 से 45 दिन पर करीब 15 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार होती है, जिसका इस्तेमाल मंदिर परिसर की फुलवारी के अलावा वहां से संचालित होने वाले खेतों में होता है। मंदिर की गोशाला में 400 से अधिक देसी गायें हैं। हर गाय से प्रतिदिन औसतन 18 से 20 किग्रा गोबर मिलता है। ऐसे में प्रतिदिन करीब 8000 किग्रा गोबर निकलता है।

इनके सलाह पर हुआ अमल

इतने अधिक गोबर की खपत और इसकी वजह से गोशाला में साफ-सफाई मंदिर प्रबंधन के लिए चुनौती बनी रहती थी। 2015 में महराजगंज में वर्मी कंपोस्ट इकाई चलाने वाले किसान नागेंद्र पांडेय ने जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोशाला में भी इकाई लगाने की सलाह दी तो वह उन्हे पसंद आई। फिर तत्काल अपनी देखरेख में इकाई तैयार करा दी, जो आज पूरी तरह व्यवस्थित तौर पर कार्य कर रही है। इकाई स्थापित करने का योगी का एक उद्देश्य लोगों को इसे कुटीर उद्योग के रूप में अपनाने का संदेश देना भी था, खासकर ग्रामीणों को।

पर्यावरण संरक्षण में मिल रही मदद

मुख्यमंत्री का मानना है ऐसी इकाईयों के बड़ी संख्या में स्थापित होने से पर्यावरण संरक्षण में मदद तो मिलेगी ही प्रधानमंत्री की जैविक कृषि योजना की सफलता भी तय हो सकेगी।

ऐसे बनती वर्मी कंपोस्ट

वर्मी कंपोस्ट इकाई का संचालन कर रहे सुनील राय ने बताया कि 12 फीट लंबी, तीन फीट चौड़ी और डेढ़ फीट गहरी 48 क्यारियां बनाई गई हैं। हर क्यारी में गोबर के साथ केंचुए डाले जाते हैं। केंचुए गोबर खाते हैं और उसका 10 फीसद हिस्सा ग्रहण करके बाकी उत्सर्जित कर देते हैं। उत्सर्जित तत्व ही वर्मी कंपोस्ट होता है। 40 से 45 दिन में एक क्यारी से 30 से 35 किग्रा कंपोस्ट तैयार होता है।

वर्मी कंपोस्ट के फायदे

अन्य खाद की तुलना में वर्मी कंपोस्ट में पांच गुना नाइट्रोजन, आठ गुना फास्फोरस, 11 गुना पोटाश, तीन गुना कैल्शियम और दो गुना मैग्नशियम होता है। जिस खेत में इसका प्रयोग होता है उसकी सरंध्रता और पानी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके लगातार इस्तेमाल से खेत की भौतिक और रासायनिक संरचना सुधर जाती है।

मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच का नतीजा

इस संबंध में गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट यूनिट मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच का नतीजा है। इससे गोशाला से निकलने वाले गोबर का सार्थक इस्तेमाल हो रहा है, साथ ही मिट्टी और फसल के लिए बेहद फायदेमंद जैविक खाद तैयार हो रही है। -द्वारिका तिवारी, सचिव, गोरखनाथ मंदिर

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