.. ताकि बची रहे हरियाली

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : सांस लेने के लिए आक्सीजन सबको चाहिए। यह तभी मिलेगा जब हमारे आसपास हरिय

By Edited By: Publish:Tue, 03 Mar 2015 01:19 AM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2015 01:19 AM (IST)
.. ताकि बची रहे हरियाली

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : सांस लेने के लिए आक्सीजन सबको चाहिए। यह तभी मिलेगा जब हमारे आसपास हरियाली हो, पेड़-पौधे हों। फूल तोड़ने और पेड़ काटने की जल्दी तो बहुतेरे लोगों को रहती है, लेकिन हरियाली बची रहे इसकी चिंता बिरले ही करते हैं। ऐसे ही बिरले लोगों में एक हैं दिनेश कुमार उपाध्याय, जो पिछले पंद्रह वर्ष से गांवों में घूम-घूम कर हरे पेड़ न काटने के साथ लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित करते हैं। वह समझाते हैं कि हमारे जीवन के लिए पेड़-पौधे कितने महत्वपूर्ण हैं। उनकी यह कोशिश रंग ला रही है। अब पेवनपुर, नंदानगर, ककना, अहिरौली व पटखौली आदि गांवों में सम्मत (होलिका) जलाने के लिए हरे पेड़ नहीं काटे जाते। सम्मत में हर घर से सूखी लकड़ियों व उपलों की आहुति दी जाती है।

दिनेश पिपरानेम, सिकरीगंज के निवासी हैं। वह महात्मागांधी इंटर कालेज गोरखपुर में छात्रावास अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। गांव में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करना उन्होंने पंद्रह साल पहले शुरू कर दिया था, लेकिन आरंभिक दिनों में उनकी बातों पर लोगों को भरोसा नहीं होता था। उनकी बात मानने वाले एक-दो लोगों को जब पौधरोपण से आर्थिक लाभ हुआ, कृषि वानिकी से उनके घर में दूसरों की अपेक्षा ज्यादा अन्न आया तो धीरे-धीरे ग्रामीणों का भरोसा बढ़ने लगा। पहले पेड़ों को न काटने व पेड़ लगाने की सलाह देने वाले दिनेश ने पिछले वर्ष इस अभियान में एक नया अध्याय जोड़ा। उन्होंने रेशम विभाग व आधार की तरफ से ग्रामीणों को मुफ्त पौधे भी दिलाए। पिपरौली ब्लाक की दो ग्राम सभाओं के पांच गांवों में वर्ष 2013-14 में 11750 पौधे लगवाए। रेशम विभाग ने 10 हजार शहतूत के पौधे प्रदान किया था। एक संस्था ने 1500 आम्रपाली व ढ़ाई सौ क्लोनल यूकेलिप्टस का पौध प्रदान किया था। ग्रामीणों का भरोसा जब बढ़ा तो उन्होंने उस भरोसे को और मजबूत करने के लिए आधार की ओर से पेवनपुर व ककना में किसान विद्यालय भी खोलवा दिया। वहां सप्ताह में एक दिन किसानों को खेती की जानकारी दी जाती है।

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अतीत की गलतियों को सुधार देगी जागरुकता : दिनेश

दिनेश कहते हैं कि हरियाली के प्रति हमारी जागरुकता धीरे-धीरे अतीत में हुई गलतियों को सुधार देगी। हमें ध्यान रखना चाहिए उल्लास जताने के लिए हरे पेड़ों को काटना अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी चलाने जैसा है।

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