30 की जगह 50 किशोर, निगरानी व्यवस्था फेल

गोंडा : राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) में कहने को व्यवस्था चाक चौबंद है। कहीं कोई कमी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Aug 2018 12:20 AM (IST) Updated:Tue, 21 Aug 2018 12:20 AM (IST)
30 की जगह 50 किशोर, निगरानी व्यवस्था फेल
30 की जगह 50 किशोर, निगरानी व्यवस्था फेल

गोंडा : राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) में कहने को व्यवस्था चाक चौबंद है। कहीं कोई कमी नहीं है। महीने में कई बार जांच होती है। अभी हाल में भी जांच हुई। अब तीन किशोरों के भाग जाने के बाद निगरानी व्यवस्था सवालों के घेरे में हैं। यहां 30 की क्षमता वाले गृह में 50 किशोर रहते हैं। जिससे व्यवस्था को लेकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि ये निरीक्षण में अफसरों को नजर नहीं आता है।

दस से 18 वर्ष के किशोर जो अपराधिक कृत्य में निरुद्ध होते हैं। उनकी देखरेख के लिए राजकीय संप्रेक्षण गृह स्थापित है। देवीपाटन मंडल का संप्रेक्षण गृह शहर के राधा कुंड मोहल्ले में है, जहां किशोर अपचारी निरुद्ध किए जाते हैं। इनके लिए मनोरंजन से लेकर खेलकूद सहित अन्य कई प्रकार की सुविधाएं देने का दावा किया जाता है लेकिन निगरानी तंत्र मजबूत नहीं है। सुरक्षा व निगरानी की व्यवस्था होमगार्डों के भरोसे है। दो-दो होमगार्ड आठ-आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं। केयर टेकर भी दायित्वों को लेकर उदासीन हैं। जिसकी वजह से तीन किशोर भाग गए। सूचना पर अफसर मौके पर पहुंचे और व्यवस्था को चाक चौबंद करने की नसीहत दी है। कार्रर्वाइ की संस्तुति भी गयी है। हालांकि अफसरों का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जाती है, जो सीधे निदेशालय से जुड़ा है। अब घटना के बाद निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है। सवाल यह है कि यदि होमगार्ड ड्यूटी पर तैनात थे तो घटना कैसे हुई? रात में वह सो गए अथवा ड्यूटी पर आए ही नहीं? कैमरे से यदि निगरानी की बात कही जा रही है तो घटना की जानकारी समय रहते क्यों नहीं हो सकी? बोले जिम्मेदार

- जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप ¨सह ने बताया कि विशेष परिस्थितियों में पुलिसकर्मी लगाए जाते हैं। यहां ऐसा कुछ नहीं था। लापरवाही की वजह से किशोर भाग गए। इसको लेकर जिम्मेदारी तय की गई है। अब कांस्टेबल की तैनाती के लिए लिखा जा रहा है।

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