मोबाइल फोन से थी दूरी, अब बन गई बच्चों को शिक्षित करने की मजबूरी

गोंडा मोबाइल का दुरुपयोग कर रहे किशोर अपराध की ओर बढ़ रहा कदम।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 11:22 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 11:22 PM (IST)
मोबाइल फोन से थी दूरी, अब बन गई बच्चों को शिक्षित करने की मजबूरी
मोबाइल फोन से थी दूरी, अब बन गई बच्चों को शिक्षित करने की मजबूरी

धनंजय तिवारी, गोंडा : जिस एंड्रायड मोबाइल को किशोरों से दूर रखा जाता था, आज मजबूरीवश अभिभावक उन्हीं के हाथों में थमा रहे हैं। कोई कर्ज लेकर डाटा रीचार्ज करा रहा है तो कोई मेहनत-मजदूरी कर मोबाइल फोन खरीदने को विवश है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि अभिभावकों को अपने बच्चों के शिक्षा की चिता है। दूसरी तरफ इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किशोर अपराध की ओर कदम बढ़ाते नजर आ रहे हैं। बीते छह माह में 12 से अधिक ऐसी घटनाएं हुईं जिसका कारण मोबाइल फोन बना।

कोरोनाकाल के पूर्व किशोरों के हाथ में मोबाइल फोन देने से अभिभावक झिझकते थे। फोन बच्चे लेकर स्कूल न जाएं इसके लिए अध्यापक उनकी तलाशी भी लेते थे। हिदायत देते थे कि बच्चे एंड्रायड फोन से दूर रहें। कोरोना काल के बाद आनलाइन पढ़ाई शुरू हुई। छात्र-छात्राओं को वाट्सएप ग्रुप व विभिन्न एप के माध्यम से आनलाइन शिक्षा दी जाने लगी। बच्चों की शिक्षा को लेकर अभिभावकों ने किशोरों के हाथ में मोबाइल थमा दी। ऐसे में किशोर अक्सर मोबाइल फोन में जुटे रहते हैं। कभी आनलाइन क्लास चलने की बात बताकर तो कभी कोर्स पूरा करने का बहाना बताकर अभिभावकों को संतुष्ट भी करने लगे हैं। अब किशोरों के हाथ मोबाइल देना और डाटा रीचार्ज कराना मजबूरी बन गया है।

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दुरुपयोग में फंस चुके हैं कई किशोर

- नगर के एक मुहल्ला निवासी कक्षा आठ के छात्र की एक किशोरी से दोस्ती हो गई। दोनों के बीच देर रात तक मैसेज व बात होने लगी। मामला आगे बढ़ा तो दोनों घर से भागने की तैयारी करने लगे। भागे भी, लेकिन घरवालों ने उन्हें बीच में ही पकड़ लिया। एक किशोर ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से एक अन्य व्यक्ति को जान से मारने की धमकी दे दी। जांच पड़ताल में पाया गया कि किशोर ने सबक सिखाने के लिए ऐसा किया था। इंटरनेट मीडिया पर एक छात्र व छात्रा के बीच दोस्ती हुई। दोनों घर से भाग निकले और प्रयागराज पहुंच गए। स्वजन ने जब इसका पता लगाया तो पूरे मामले की जानकारी हुई।

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मजबूरी में दे रहे फोन

- अभिभावक संतराम का कहना है कि उनका बेटा कक्षा सात में पढ़ता है। वह मेहनत मजदूरी कर घर चलाते हैं। एक साल पूर्व कर्ज लेकर उन्होंने फोन बेटे को दिलाया था। अब नेटवर्क रीचार्ज कराने के लिए उन्हें परेशानी होती है। गृहिणी रजनी का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को फोन दिलाया। पहले उसको फोन से दूर रखा जाता था। अब फोन मजबूरी है।

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बच्चों पर दें ध्यान

- पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अनजानों से लोगों की दोस्ती हो जाती है। उसके बाद वह अपराध के दलदल में फंस जाते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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