बालश्रम से मुक्त बच्चों का होगा भाग्योदय

गोंडा: आजाद ¨हदुस्तान की तस्वीर बदलने के लिए सरकार 69 साल से योजनाएं चला रही है। दावा भी है कि हर प

By Edited By: Publish:Mon, 16 Jan 2017 12:18 AM (IST) Updated:Mon, 16 Jan 2017 12:18 AM (IST)
बालश्रम से मुक्त बच्चों का होगा भाग्योदय
बालश्रम से मुक्त बच्चों का होगा भाग्योदय

गोंडा: आजाद ¨हदुस्तान की तस्वीर बदलने के लिए सरकार 69 साल से योजनाएं चला रही है। दावा भी है कि हर परिवार को योजना से लाभ जरूर मिला है। लेकिन यहां ऐसे भी परिवार हैं, जिन्हें सुविधा नहीं मिल सकी। खाने के लिए रोटी व पहनने के लिए कपड़ा मुश्किल है। ऐसे में मकान की सोच भी बेईमानी है। जब सहारा नहीं मिला तो दिल पर पत्थर रखकर बच्चों को मजदूरी के लिए भेज दिया। पेट पालने के लिए बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होना पड़ा। फिलहाल, श्रम विभाग ने बालश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को सर्वोदय योजना के तहत गोद लेने का फैसला किया है। डीएम की अगुवाई में अफसर पदनाम से सोमवार को गोंडा के सात व बहराइच एक सहित आठ बच्चों को गोद लेंगे।

किसे गोद लेंगे अफसर

-कर्नलगंज के गाड़ीबाजार पूर्वी मोहल्ले में रहने वाले नसीम अख्तर के बेटे शादाब, फहीम अख्तर के बेटे समीर, नचनी मोहल्ले के निवासी रामानंद मौर्य के बेटे रोहित, नगवाकला में श्रीधर शुक्ल के बेटे मोनू शुक्ल, कैसरगंज के पिपरिया गांव निवासी अजमत अली के बेटे मोगली, सकरौरा ग्रामीण निवासी अशर्फीलाल बेटे सोनू व लक्ष्मन, चाइनपुरवा के निवासी रोहित के बेटे राजा व दुगराज के बेटे प्रकाश को अफसर गोद लेंगे।

केस-1

गरीबी ने कर दिया कंगाल

- नाम- अशर्फीलाल, लेकिन खजाना खाली। सकरौरा ग्रामीण रहने वाले इस व्यक्ति के पास सिर्फ एक बीघा खेत है और एक गाय। घर में बूढ़ी मां, पत्नी के साथ ही छह बेटे व दो बेटियां। संतान तो आठ हैं, लेकिन स्कूल में दाखिला सिर्फ दो बच्चों का है। ये बच्चे भी स्कूल नहीं जाते हैं। घर का खर्चा नहीं चला तो सोनू व लक्ष्मन एक होटल पर मजदूरी करने लगे। ये परिवार में फूस की झोपड़ी में ¨जदगी गुजार रहा है। आजादी के सात दशक बीतने के बावजूद इन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला।

केस-2

फीस न होने से बेटी ने छोड़ दी पढ़ाई

- फहीम अख्तर की ¨जदगी में शादाब आए, लेकिन गरीबी ने नसीब नहीं बदलने दिया। जब घर का खर्च नहीं चला तो बेटे समीर को बाल मजदूरी के लिए भेज दिया। बेटी दरख्शां को बीए प्रथम वर्ष की शिक्षा ग्रहण करने के बाद पढ़ाई इसलिए छोड़नी क्योंकि वह फीस नहीं जमा कर सकी। फहीम अख्तर को भी अपने बेटे को बालश्रम के लिए भेजना पढ़ा। नसीम अख्तर का बड़ा बेटा आकिफ इलाहाबाद में काम सीख रहा है तो दूसरा बेटा शादाब पढ़ाई की उम्र में रेडीमेड दुकान पर मजदूरी कर रहा था।

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