पहली फाइल..मंत्री का जिला, स्कूलों में समस्याओं का 'किला'

गोंडा: सूबे के माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री के गृह जिले में स्कूलों का हाल बेहाल है। शिक्षकों की कमी,

By Edited By: Publish:Fri, 04 Sep 2015 12:09 AM (IST) Updated:Fri, 04 Sep 2015 12:09 AM (IST)
पहली फाइल..मंत्री का जिला, स्कूलों में समस्याओं का 'किला'

गोंडा: सूबे के माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री के गृह जिले में स्कूलों का हाल बेहाल है। शिक्षकों की कमी, संसाधनों का अभाव, बजट की किल्लत ने मुख्यालय के राजकीय इंटर कॉलेजों की सूरत बिगाड़ दी है। यहां पर एक-एक शिक्षक कई-कई विषय पढ़ा रहा है। स्कूल की छतें टपक रही हैं, बरामदे व हाल में कक्षाएं लग रही हैं। कॉलेजों के पास परिसर को साफ सफाई करने के लिए धन नहीं है। फर्नीचर की भी किल्लत सता रही है। राजकीय बालिका इंका के खेल मैदान पर डीआइओएस ऑफिस बना दिया गया, जबकि राजकीय इंका के खेल मैदान पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। समस्याओं की पड़ताल करती रिपोर्ट:

तस्वीर एक- राजकीय बालिका इंका

शिक्षकों की कमी

- स्टेशन रोड स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में कुल 1590 विद्यार्थी पंजीकृत है। यहां पर प्रवक्ता के कुल 15 पदों पर 9 की तैनाती है। यहां पर भूगोल, गृह विज्ञान, उर्दू, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र के प्रवक्ता ही नहीं है। एलटी ग्रेड के बीस पद के सापेक्ष 16 की नियुक्ति है। बीटीसी में 13 पद के सापेक्ष सिर्फ 5 की ही तैनाती है। यहां पर भौतिकी, रसायन, संस्कृत जैसे विषयों के शिक्षकों की कमी बनी हुई है। बावजूद इसके यहां का परीक्षा परिणाम पिछले पांच साल में 98 फीसदी तक रहा।

टपकती हैं छतें

- यहां पर प्रयोगशालाओं की छतें टपक रही हैं, जिससे यहां पर काफी अव्यवस्था है। कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर तो है लेकिन वह बेहाल है। रसायन व भौतिकी विज्ञान की प्रयोगशालाओं में दीवारों पर अभी तक सीलन है, जिससे यहां पर आने वाली छात्राओं को काफी परेशानी से जूझना पड़ रहा है।

हाल में चलतीं कक्षाएं

- माध्यमिक शिक्षा अभियान के कमरों का निर्माण पूरा न होने से कक्षों की भी कमी बनी हुई है। पहले यहां पर दो शिफ्ट में कक्षाएं चलती थी, एक शिफ्ट में होने के कारण कॉलेज प्रशासन के पास कमरे तक नहीं है। जिसकी वजह से हॉल में छह कक्षाएं चलती है। साथ ही बरामदे में भी दो कक्षाएं संचालित की जा रही है।

खेल मैदान में दफ्तर

- राजकीय बालिका इंका के खेल मैदान पर डीआइओएस कार्यालय की स्थापना करा दी गई। जिसके बाद से यहां पर खेलकूद की गतिविधियां ठप पड़ी हुई है। बालिकाओं को घरों से लाने व स्कूल से छोड़ने के लिए घर तक पहुंचाने के लिए बस की सुविधा भी बंद है।

तस्वीर दो - फखरुदीन अली अहमद राजकीय इंटर कॉलेज

बिना गुरु कैसे हो पढ़ाई

- राजकीय इंका में प्रवक्ता के दस पदों के सापेक्ष 5 की तैनाती है। यहां पर इतिहास, ¨हदी, अर्थशास्त्र, गणित, संस्कृत जैसे विषयों के शिक्षक ही नही है। एलटी ग्रेड के 25 पदों के सापेक्ष सिर्फ सात की ही तैनाती है। जिससे यहां पर कई महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यहां पर 650 बच्चे पंजीकृत है। यहां का परीक्षाफल भी कॉलेज प्रशासन 95 फीसदी होने का दावा कर रहा है।

गिरने लगे भवन

- बजट की किल्लत के कारण यहां पर स्कूल भवन गिरने लगे हैं। जिससे यहां पर शिक्षण कक्षाओं के संचालन में बाधा आ रही है। कई कमरों की छतें टपक रही है, साथ ही प्लास्टर भी टूटकर गिर रहे हैं। फर्नीचर की भी किल्लत है। भवन पर पेड़ पौधे उग आए हैं। कॉलेज का छात्रावास जर्जर है, अब यहां पर साइकिलें खड़ी की जा रही है।

प्रयोगशाला भी बेहाल

- राजकीय इंका के प्रयोगशालाएं भी अव्यवस्था से जूझ रही है। कंप्यूटर लैब तो है लेकिन वह भी बेतरतीब है। प्रयोगशालाओं के रखरखाव को लेकर अलग से कोई बजट न मिलने के कारण अध्यापक अभिभावक एसोसिएशन व फीस के मद में आने वाली धनराशि से यहां की व्यवस्थाएं की जाती है।

क्या बोले जिम्मेदार

- राजकीय बालिका इंका की प्रधानाचार्या नूतन खन्ना का कहना है कि संसाधनों व शिक्षकों की कमी के बावजूद बेहतर शैक्षिक माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कमियों की जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी जा चुकी है।

- राजकीय इंका के प्रभारी प्रधानाचार्य अशोक कुमार पांडेय का कहना है कि शिक्षकों की कमी से असर जरूर पड़ रहा है। फिर भी एक दूसरे को अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर शिक्षा का माहौल बनाया जा रहा है। अन्य दिक्कतों के बारे में जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जा चुकी है।

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