बेसहारा पशुओं के आश्रय स्थल यातनागृह बने

गाजीपुर शासन के निर्देश पर किसानों को बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए जगह-जगह बनाए गए पशु आश्रय स्थल उनके लिए यातनागृह साबित हो रहे हैं। यूं कहें तो यह आश्रय स्थल कम श्मशान बन गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 10:23 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 10:23 PM (IST)
बेसहारा पशुओं के आश्रय स्थल यातनागृह बने
बेसहारा पशुओं के आश्रय स्थल यातनागृह बने

जासं, गाजीपुर : शासन के निर्देश पर किसानों को बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए जगह-जगह बनाए गए पशु आश्रय स्थल उनके लिए यातनागृह साबित हो रहे हैं। यूं कहें तो यह आश्रय स्थल की बजाय श्मशान बन गया है। हालात इतने खराब हैं कि हर पशु आश्रय गृह में रखे गए पशुओं पर्याप्त चारा व पानी भी नसीब नहीं हो पा रहा है। हर रोज पशुओं की मौत हो रही है। उनके इलाज तक की व्यवस्था नहीं है। जिले में दो दर्जन पशु आश्रय स्थल बनाए गए हैं, वहां रखे गए पशुओं की संख्या कहीं एक तिहाई तो कहीं एक चौथाई रह गई है।

प्रतिदिन चार-पांच पशुओं की हो रही मौत

कासिमाबाद : क्षेत्र के बड़ौरा गांव स्थित पूर्वांचल सहकारी कताई मिल में बने अस्थाई निराश्रित गो आश्रय स्थल में पशुओं की दशा काफी दयनीय हो चुकी है। चारे व इलाज के अभाव में प्रतिदिन 4 से 5 पशुओं की मौत हो रही है। वर्तमान में मात्र 129 पशु ही बचे हैं, जबकि शुरुआत में पशुओं की संख्या 500 से ऊपर थी। हालांकि इसमें से कुछ पशुओं को दूसरे आश्रय स्थल भी भेजा गया था। पशु आश्रय स्थल में जगह-जगह जलजमाव है। मरे हुए पशु का शव जगह-जगह सड़ रहे हैं। दुर्गंध के कारण आश्रय स्थल में रहने में कर्मचारियों का रहना मुश्किल हो गया है। जगह पशुओं के कंकाल बिखरे पड़े हैं। तैनात सफाईकर्मी अवधेश कुमार कुशवाहा ने बताया कि 15 दिन बाद रविवार को पशुओं को खाने के लिए केवल सूखा भूसा आया है। मरे पशुओं को ले जाने वाले को एक दिन ग्रामीणों ने पीट दिया जिसके कारण वे नहीं आ रहे हैं।

गो-आश्रय केंद्र में केवल दो बछड़े

मुहम्मदाबाद : नगर के जलकल परिसर में पालिका की ओर से आश्रय स्थल बनाकर पशुओं को उसमें रखा गया। शुरुआती दौर में दो-चार दिनों तक पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाने के बाद अधिकारी इसको लेकर पूरी तरह से उदासीन हो गए। नगर में दिन हो या रात मुख्य सड़कों पर पशु खड़े या आराम फरमाते नजर आ रहे हैं। यूसुफपुर बाजार में शाम को इनका जमावड़ा होने से आवागमन में भी परेशानी होती है। हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पालिका के गोवंश आश्रय स्थल प्रभारी राजेंद्र ग्वाल ने बताया कि शुरू में करीब 22 पशुओं को पकड़कर आश्रय स्थल में रखा गया था। बाद में पशुओं को उनके स्वामी के सुपुर्द कर दिया गया। फिलहाल दो बछड़े आश्रय स्थल में हैं।

हर दूसरे दिन मर रहे पशु

भांवरकोल : ब्लाक परिसर स्थित निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल पूरी तरह से दु‌र्व्यवस्था का शिकार है। यहां गोवंशों के खानपान, रख-रखाव एवं चिकित्सा की उचित व्यवस्था न होने से एक दो दिन के अंतराल पर गोवंश दम तोड़ते रहते हैं। मृत गोवंशों के निस्तारण की भी उचित व्यवस्था नहीं है। उनका शव ठेला या पिकप पर लादकर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के किनारे पानी में फेंक दिया जाता है जिससे परेशानी हो रही है। कभी-कभी तो मृत गोवंशों को ब्लाक परिसर की झाड़ियों में ही फेंक कर अपनी जिम्मेदारी समाप्त समझ ली जाती है। ग्रामीणों के अनुसार मरने वाले गोवंशों की संख्या सौ से अधिक हो चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है। सोमवार की रात मरे गोवंश के मंगलवार को फेंका गया तब तक दूसरा गोवंश दम तोड़ दिया। एक गोवंश बीमार होकर जीवन-मरण के बीच संघर्ष कर रहा है ।

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