UP Board 10th Topper 2024: एक आंख की खराबी भी नहीं रोक पाई तन्नु की राह, जिले में किया टॉप

UP Board 10th Topper 2024 यूपी बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल में जनपद में अव्वल आने वाली छात्रा तन्नू ने निर्धनता और अभावों को ही अपनी ताकत बना ली और खुद को साबित करके दिखाया। गांव कवला जखनियां में उसका पैतृक आवास है। उसके पिता अजय कुमार जखनियां तहसील में अधिवक्ता हैं और मां ऊषा देवी गृहिणी हैं। उसकी तीन बहनें व एक भाई है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey Publish:Sun, 21 Apr 2024 08:23 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2024 08:23 AM (IST)
UP Board 10th Topper 2024: एक आंख की खराबी भी नहीं रोक पाई तन्नु की राह, जिले में किया टॉप
एक आंख की खराबी भी नहीं रोक पाई तन्नु की राह, अपने जिले में किया टॉप

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। यूपी बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल में जनपद में अव्वल आने वाली छात्रा तन्नू ने निर्धनता और अभावों को ही अपनी ताकत बना ली और खुद को साबित करके दिखाया।

गांव कवला जखनियां में उसका पैतृक आवास है। उसके पिता अजय कुमार जखनियां तहसील में अधिवक्ता हैं और मां ऊषा देवी गृहिणी हैं। उसकी तीन बहनें व एक भाई है। सीमेंटेड शेड में रहने वाली तन्नू शिक्षक बनकर समाज का भविष्य संवारना चाहती है। वह रात में छह से सात घंटे नियमित पढ़ाई करती है।

श्री महावीर सर्वोदय इंटर कालेज की छात्रा तन्नू ने प्रधानाचार्य जय सिंह चौहान व अपने पिता को इस सफलता का श्रेय दिया है। तन्नू की बायीं आंख बचपन से ही दृष्टिबाधित है। अधिवक्ता पिता को दिन-रात फाइलों में उलझा देख उसने किताबों को दोस्त बना लिया।

तन्नू शाम का खाना खाने के बाद एक कमरे में किताब-कापियां लेकर बैठ जाया करती थी। घर से एक किमी दूर स्थित अपने विद्यालय पर साइकिल से जाती है। विद्यालय के बाद वह कोचिंग होकर तब घर आती थी। एक आंख दृष्टिबाधित होने के बावजूद तन्नू पढ़ाई को लेकर असहज नहीं हुई और हाईस्कूल में जिले में ही नहीं प्रदेश में अपना परचम लहराया।

उसकी सफलता का पता चलते ही घर पर शुभकामनाएं देने के लिए लोग पहुंचने लगे। मां ने जब तन्नू को मिठाई खिलाई तो उनकी आंखें भर आई।

शिक्षक बनकर बच्चों को बेहतर शिक्षा देना उद्देश्य

तन्नू आगे शिक्षक बन समाजसेवा करना चाहती है। शिक्षक बनने का सपना तन्नू के माता-पिता का है जिसे तन्नू पूरा करने के लिए जी जान से पढ़ाई में जुटी है। उसकी पढ़ाई में कोई अवरोध न आए, इसका ध्यान माता-पिता रखते हैं। पढ़ लिखकर शिक्षका बनकर वह बच्चों को शिक्षित करना चाहती है। वह कहती है कि गुरुजनों को पढ़ाना देखकर उसे अच्छा लगता है।

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