जल सत्याग्रह के साथ कटान पीड़ितों का आंदोलन शुरू

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर): कटान का दंश झेल रहे सेमरा शिवराय का पुरा गा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 12 Apr 2018 06:37 PM (IST) Updated:Thu, 12 Apr 2018 09:47 PM (IST)
जल सत्याग्रह के साथ कटान पीड़ितों का आंदोलन शुरू
जल सत्याग्रह के साथ कटान पीड़ितों का आंदोलन शुरू

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर): कटान का दंश झेल रहे सेमरा शिवराय का पुरा गांव के ग्रामीणों ने गांव को बचाने को लेकर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए गुरुवार को आंदोलन की शुरुआत जल सत्याग्रह से कर दिया। ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि जब तक गांव को बचाने को लेकर कोई ठोस कार्य धरातल पर शुरू नहीं हो जाता तब तक उनका आंदोलन चलेगा। ग्रामीण तीन दिनों तक प्रत्येक दिन दो घंटा गंगा की धारा में खड़ा रहकर अपना विरोध प्रकट करेंगे।

छह वर्ष पूर्व गंगा ने जो तबाही मचाई उसके चलते सेमरा व शिवराय का पुरा गांव के लोग अब तक अपना सुचारू जीवन शुरू नहीं कर सके। गांव को बचाने के लिए प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार की ओर से सांसद नीरज शेखर के प्रयास से ठोकर निर्माण का कार्य तो कराया गया लेकिन वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। वर्ष 2016 में गंगा ने फिर अपना रौद्र रूप दिखायी तो सेमरा से शेरपुर जाने वाली सड़क का काफी हिस्सा कटान की भेंट तो चढ़ा ही उसके अलावा गांव को बचाने के लिए ठोकर का काफी हिस्सा भी जल में समाहित हो गया। वर्ष 2017 के चुनाव का बिगुल बजने पर राजनीतिक दलों ने गांव को बचाने के लिए तरह -तरह की घोषणाएं की। बावजूद ठोकर मरम्मत का कार्य नहीं हो सका। 2017 में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने के बावजूद उनकी कृपा से गांव का नुकसान नहीं हो सका। अब बरसात का सीजन शुरू होने में मात्र दो माह है लेकिन ठोकर मरम्मत को लेकर आज तक किसी तरह की सुगबुगाहट न दिखने से ग्रामीणों में इस बात का डर सताने लगा है कि अगर गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो उनके गांव का भूगोल पूरी तरह से इतिहास बनकर रह जाएगा।

गंगा तट पर जल सत्याग्रह से आंदोलन की शुरूआत कर ग्रामीणों ने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को चेताया कि अब वह अपने हक को लेने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन शुरू कर दिए हैं। उनका आंदोलन अब अपने मुकाम को पाने के बाद ही विराम लेगा। सत्याग्रह के मौके पर मौजूद ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षात्मक रवैये को लेकर काफी आक्रोश दिखा। कहा कि सबसे बड़ा कष्ट तो यह है कि लोकतंत्र में जिनको हम मजबूत करके सदन तक पहुंचाने का कार्य किए वे आज हमारी विपरीत परिस्थितियों में हमारा साथ देने में आनाकानी कर रहे है बल्कि हमें केवल अपनी बातों से गुमराह करने में लगे हैं। योगेंद्र राय के नेतृत्व में शुरू हुए जल सत्याग्रह में जीउत चौरसिया, उपेंद्र पटेल, मनोज राय, अशोक राय, लालजी प्रजापति, प्रेमनाथ गुप्ता, डा.योगेश गुप्ता, पारस ठाकुर, राधेश्याम राय, संतोष तिवारी, सुशील कुमार राय, गिरिजा भारती, कृपाल यादव, जनार्दन पटेल, ठाकुर प्रजापति, रामरतन प्रजापति, अखिलेश राय, नंदलाल गुप्ता, अखिलेश खरवार, रामपति गुप्ता, राजेंद्र भारती आदि शामिल थे। ठोकर मरम्मत की आस में टूटे फूटे आवासों में कर रहे गुजारा

गंगा कटान का दंश झेल रहे परिवार अब भी खानाबदोश की ¨जदगी जीने को मजबूर है। हालत यह है कि उनकी गृहस्थी कहीं खेतों में चल रही है तो उसका कुछ हिस्सा गंगा किनारे आधा अधूरा बचे मकानों या झोपड़ियों में। शिवरायकापुरा गांव के रामबचन राय, सुदर्शन राय, डा.योगेश गुप्ता, सीताराम पटेल, बीरा यादव, सेमरा गांव के दीनानाथ राय, अनंत राय, श्रीनारायण राय, हरिशंकर यादव, मंगला यादव, सागर यादव, बबलू उपाध्याय, गिरिजा राम, लौजारी राम, दया रावत, सुनील रावत जैसे कई परिवार है, जिनका कटान के दौरान पक्के रिहायशी मकान काफी क्षतिग्रस्त हो गये तो कुछ लोग अपने हाथों उसे तोड़ दिया था। बरसात बीतने के बाद कटान थमने पर उनको एक उम्मीद जगी कि हो न हो अब शासन की ओर से ठोकर मरम्मत करा दिया जायेगा और उनका आधा अधूरा आशियाना बच जायेगा। इस उम्मीद पर वह क्षतिग्रस्त मकानों में ही अपना गृहस्थी चला रहे हैं। कुछ लोग अपने खेतों में मकान बना तो लिए है लेकिन गांव के आपसी प्रेम उनको दूर जाने से रोक रहा है। इसके चलते वह घूम फिरकर अपने टूटे फूटे मकान में ही रहने को विवश है। अगर बरसात से पूर्व क्षतिग्रस्त ठोकर का मरम्मत कार्य करा दिया जाए तो ऐसे लोग अपने आशियाने को फिर से पुराने स्वरूप में लाकर उसमें गृहस्थी शुरू कर सकते हैं।

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