सदैव अमर रहता है संतों का जीवन : प्रो. उदित नारायण

जासं, दिलदारनगर (गाजीपुर) : अघोर सेवा मंडल गिरनार आश्रम के संस्थापक अवधूत सिंह शावक रामबाबा का 17वां

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Sep 2019 05:45 PM (IST) Updated:Tue, 03 Sep 2019 05:45 PM (IST)
सदैव अमर रहता है संतों का जीवन : प्रो. उदित नारायण
सदैव अमर रहता है संतों का जीवन : प्रो. उदित नारायण

जासं, दिलदारनगर (गाजीपुर) : अघोर सेवा मंडल गिरनार आश्रम के संस्थापक अवधूत सिंह शावक रामबाबा का 17वां महानिर्वाण दिवस मंगलवार को आश्रम सभागार में पुष्पांजलि समारोह के रूप मे मनाया गया। दूर-दराज से साधु-संतों व श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सुबह से शाम तक बाबा के समाधी स्थल व मंदिर में पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। अतिथियों को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के प्रोफेसर उदित नारायण चौबे ने कहा कि संतों का जीवन सदैव अमर रहता है। लोगों का जीवन साधु, गृहस्थ एवं सैनिक वर्ग में बंटा हुआ है। संत इच्छा नहीं करते बल्कि संकल्प करते हैं।  समाज में सेवा करने की शिक्षा भी इन्हीं आश्रमों में मिलती है। सत्संग के बिना ज्ञान अधूरा है। यदि बाबा के संकल्पों, सेवाओं, कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य नहीं किया गया तो राष्ट्र संकट में रहेगा। सैनिक का धर्म राष्ट्र की रक्षा करना है। बाबा शावक रामजी के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दयाराम पांडेय ने कहा कि यह धर्म प्रधान देश है। धर्म हमारी रक्षा करता है तथा हम धर्म की रक्षा करते हैं। सदाचार ही धर्म है और सेवा, सहायता, दया का भाव ही सदाचार है। संस्कृत में निरंतरता संत ही प्रदान करते हैं। परम सत्ता को सबमें देखना ही अघोर है। आस्था को परिभाषित करते हुए कहा कि भाव का स्थिर रहना ही आस्था है। साधु ओम रामजी ने कहा कि समाज की सेवा के लिए संत का प्राकट्य होता है। रणजीत सिंह, रमेश सिंह, सुरेश सिंह, भरत, वेदप्रकाश, मंगला प्रसाद, विजय गुप्ता, सुरेश कश्पप, सुनील, अशोक आदि ने विचार किए। संचालन चंद्रभूषण ने किया।

chat bot
आपका साथी