हेलमेट व सीटबेल्ट पहने बिना कभी न चलाएं वाहन

गाजीपुर: यातायात के नियमों के प्रति जागरुकता को लेकर आम लोगों के साथ ही संबंधित महकमा भी उदासीन हो गया है। यातायात माह में भी धड़ल्ले से इसका उल्लंघन किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 05:11 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 10:52 PM (IST)
हेलमेट व सीटबेल्ट पहने बिना कभी न चलाएं वाहन
हेलमेट व सीटबेल्ट पहने बिना कभी न चलाएं वाहन

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता को लेकर आम लोगों के साथ ही संबंधित महकमा भी उदासीन हो गया है। यातायात माह में भी धड़ल्ले से इसका उल्लंघन किया जा रहा है। कार में आगे की सीट पर बैठने वाले तो दूर अधिकतर चालक भी सीटबेल्ट लगाकर नहीं चलते हैं। ऐसे ही 80 फीसद से भी अधिक बाइक चालक बिना हेलमेट लगाए ही फर्राटा भर रहे हैं, जबकि लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए सिर आपका है तो इसकी सुरक्षा भी आपको ही करनी होगी। सुरक्षित यात्रा के लिए हेलमेट और सीटबेल्ट लगाना बहुत जरूरी है।

दैनिक जागरण की ओर से पिछले दो सप्ताह से यातायात के नियमों के प्रति लोगों को जागरूक होने का आह्वान किया जा रहा है ताकि यात्रा सुरक्षित हो सके। सुरक्षा के लिहाज से कार चला रहे चालक, आगे बैठने वालों के साथ पीछे वालों को भी सीटबेल्ट लगाना बहुत जरूरी है। बड़े-बड़े शहरों में लोग इस नियम को फालो करते हैं, लेकिन इस जनपद में सीटबेल्ट पहनना अपनी तवहीन समझते हैं। यहां लोगों के अंदर धारणा हो गई है कि डरपोक लोग सीटबेल्ट लगाते हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि वह इसके प्रति जागरूक नहीं हैं और न ही होना चाहते हैं। यही हाल बाइक चालकों की भी है। देखा जाए तो सड़क हादसे में ज्यादा मौत सिर में गंभीर चोट लगने के कारण ही होती है। इसी तरह कार हादसे में भी होता है। सीटबेल्ट नहीं लगाने से लोगों का सिर स्टेय¨रग से टकरा जाता है या फिर हादसे के दौरान गेट खुलने पर वह गाड़ी से बाहर चले जाते हैं।

----- कार में छोटे बच्चों को न बैठाएं आगे

कार में छोटे-छोटे बच्चों को कभी आगे नहीं बैठना चाहिए। बच्चे काफी नटखट स्वभाव के होते हैं। ऐसे में झटके से ब्रेक लेने व सामने से आ रहे वाहनों को देखकर भी वह कभी-कभी डर जाते हैं। वह अनियंत्रित होकर चोटिल हो जाते हैं। अगर बैठाएं तो उन्हें भी सीटबेल्ट अवश्य लगाएं।

---- नकली हेलमेट और भी खतरनाक

बाइक खरीदते समय हेलमेट खरीदना भी बहुत ही आवश्यक है। ऐसा सरकार की ओर से भी आदेश दिया गया है, लेकिन कुछ इसमें भी आनाकानी करने लगते हैं। 60 हजार से लेकर दो-दो लाख की बाइक खरीद लेते हैं, लेकिन मात्र दो हजार हेलमेट खरीदने में उन्हें परेशानी होती है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो महज चालान से बचने के लिए बाजारों से सस्ते दामों में नकली हेलमेट खरीद लेते हैं, जबकि नकली हेलमेट और भी खतरनाक होता है। दुर्घटना के वक्त या तो वह फट जाता है नहीं तो डैमेज होने के पश्चात उसके कारण सिर में और चेहरे में धंस जाता है, जो बहुत ही खतरनाक है। इसलिए हमेशा ओरिजनल और ब्रांडेड हेलमेट ही खरीदें, जिसपर आइएसआइ मा‌र्क्ड हो। यह दिखने में भी अच्छा होता है और इसकी उम्र भी अधिक होती है। साथ ही आप की सुरक्षा भी बेहतर तरीके से होगा।

----- फोटो: 14सी। - 17 जुलाई 2018: राष्ट्रीय राजमार्ग-24 सुहवल थाना क्षेत्र के भगीरथपुर गांव निवासी कपिल देव शर्मा के पुत्र अनिमेष की बाइक देवरिया में ओवरटेक करने में ट्रक से टकरा गई। इससे वह पत्थर से टकरा गए और पानी भरे गड्ढे में गिर गए। इनकी जान सिर्फ इसलिए बच गई, क्यों उन्होंने हेलमेट लगाया था। उसी दिन उनको हेलमेट की उपयोगिता समझ में आ गई। अनिमेष ने बताया कि वह बहुत ही भयावह मंजर था। टक्कर होने के बाद पत्थर से जब सिर टकराया तो बहुत तेज आवाज आई, ऐसे लगा जैसे मेरा सिर बुरी तरह से फट गया, लेकिन जब हेलमेट निकाला तो सिर में एक खरोच भी नहीं आई थी। हेलमेट के कारण ही आज मैं ¨जदा हूं। उन्होंने सभी बाइक चालकों से आह्वान किया कि सुरक्षित यात्रा के लिए हेलमेट बहुत जरूरी है।

------ फोटो: 15सी। - 5 सितंबर 2017: मरदह थाना क्षेत्र के डंडापुर गांव निवासी शिक्षक अंजनी ¨सह बाइक से कहीं जा रहे थे। जमानियां क्षेत्र के उसिया पहुंचे तो सामने से आ रही तेज रफ्तार बाइक से टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि हेलमेट भी क्रेक कर गया लेकिन वह बाल-बाल बच गए। अंजनी ¨सह का कहना है कि अगर हमारा हेलमेट नकली होता शायद ही मेरी जान न बचती। हेलमेट के कारण ही आज मैं आपसे बात कर पा रहा हूं। सभी बाइक चालकों से मेरा अनुरोध है कि आप हेलमेट अवश्य पहनें, वो भी ओरिजिनल।

------ - 16 मई 2018: नंदगंज थाना क्षेत्र के नैसारा स्थित राजमार्ग 29 पर पिकप और बाइक सवार में टक्कर हो गई। शादियाबाद के सिधार बुजुर्ग निवासी बाइक सवार प्रद्युम्न कुशवाहा (47) और सुरेंद्र कुशवाहा (38) घायल हो गए। इसमें सुरेंद्र की मौत हो गई। बाइक चला रहे प्रद्युम्न की हेलमेट के कारण जान बच गई। हादसे को देखने के बाद किसी यह अनुमान नहीं था कि कोई बचेगा, लेकिन हेलमेट ने प्रद्युम्न के लिए संजीवनी का काम किया। प्रद्युम्न का भी दिल उस हादसे को याद कर दहल उठता है। उन्होंने भी सभी से हेलमेट लगाने का आह्वान किया कि ताकि वह दोबारा अपने घर पहुंच सकें।

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