दवा कंपनियों व डाक्टरों के साठगांठ से नहीं बिक रहीं जेनरिक दवाएं
दवा कंपनियां चिकित्सकों को मोटा कमीशन के साथ विदेश की सैर भी कराती हैं।
दवा कंपनियों व डाक्टरों के साठगांठ से नहीं बिक रहीं जेनरिक दवाएं
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : रोगियों को सस्ती दर पर दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले के चार सरकारी अस्पताल में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं, लेकिन अधिकतर डाक्टर जनऔषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाओं को लिखते ही नहीं हैं। दवा कंपनियों व डाक्टरों की साठगांठ जेनरिक दवाओं पर भारी पड़ रही है। दवा कंपनियां चिकित्सकों को मोटा कमीशन के साथ विदेश की सैर भी कराती हैं। उपहार में एलइडी, एसी व तमाम लग्जरी सामान उपलब्ध कराती हैं जबकि जेनरिक दवा लिखने पर उन्हें कुछ नहीं मिलता। इसके चलते जनऔषधि केंद्रों की दवाएं बिक नहीं पातीं। दूसरी ओर रोगियों को सस्ती दवाएं नहीं मिल पाती हैं।
वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने गरीबों को सस्ती दवा उपलब्ध कराने की मुहिम के तहत हर जिले में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया। इसी के तहत जिले में चार जनऔषधि केंद्र खोले गए जबकि दो निजी स्तर पर भी दुकानें खोली गईं हैं। जनऔषधि केंद्र के कर्मियों का आरोप है कि अधिकतर डाक्टर जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते हैं। इसके बावजूद यदि कोई रोगी खरीद लेता है और डाक्टर को जाकर दिखाता है तो वे गुणवत्ता विहीन बताकर वापस करा देते हैं। इससे जनऔषधि केंद्रों को अपना खर्च निकालना मुश्किल हो गया है।
राजकीय मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. आनंद मिश्रा की कोशिश से जिला अस्पताल के अधिकतर चिकित्सक जेनरिक दवाएं लिखने लगे हैं, लेकिन जिला महिला अस्पताल की हालत खस्ताहाल है। कुछ यही हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैदपुर व मुहम्मदाबाद में स्थापित जनऔषधि केंद्रों का भी है।
एमआर लेते हैं जनऔषधि की दवाएं
- अपनी कंपनी की ब्रांडेड दवा को बेहतर बताकर चिकित्सकों से लिखवाने वाले ऐसे बहुत से एमआर हैं जो खुद जनऔषधि की दवा ले जाते हैं। खुद खाते हैं और अपने परिवार को भी खिलाते हैं। क्योंकि उन्हें पता होता है कि जनऔषधि की दवाएं गुणवत्तापूर्ण होने के साथ काफी सस्ती भी हैं।
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चिकित्सकों को जनऔषधि केंद्रों की दवाएं लिखने को कहा गया है, लेकिन वहां पर्याप्त दवाएं उपलब्ध नहीं होतीं। कई ऐसे भी रोगी होते हैं जो खुद ब्रांडेड दवा ही लेना चाहते हैं। ऐसे में चिकित्सक उन्हें बाध्य नहीं कर सकते।
- डा. हरगोविंद सिंह, सीएमओ।