डायबिटीज बेलगाम, मुकाबले का कमजोर इंतजाम

बच्चों के बीच 14 नवंबर बाल दिवस के रूप में प्रख्यात तो जरूर है लेकिन अब यह तिथि धीरे-धीरे मधुमेह दिवस के लिए खास होती जा रही है। साल दर साल इस बीमारी की भयावहता बढ़ती जा रही है जिस तेजी से इस रोग ने जनपद में पांव पसारा है कि मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 04:49 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 04:49 PM (IST)
डायबिटीज बेलगाम, मुकाबले का कमजोर इंतजाम
डायबिटीज बेलगाम, मुकाबले का कमजोर इंतजाम

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : बच्चों के बीच 14 नवंबर बाल दिवस के रूप में व्यवहृत है लेकिन अब यह तिथि धीरे-धीरे मधुमेह दिवस के लिए भी खास होती जा रही है। साल दर साल इस बीमारी की भयावहता बढ़ती जा रही है। जिस तेजी से ऐसे मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है वह चिंताजनक है। विभागीय आकड़ों पर गौर किया जाए तो जनपद में मधुमेह मरीजों की संख्या 30 हजार से भी ऊपर है। मरीजों के बढ़ते आकड़ों ने स्वास्थ्य महकमे के माथे पर बल ला दिया है लेकिन सरकारी अस्पतालों में इससे निपटने का कोई इंतजाम नहीं है।

खानापूर्ति कर उच्चाधिकारियों की ओर से मधुमेह दिवस पर सिर्फ जागरूकता के नाम पर सीएमओ परिसर से कुछ दूरी तक सड़क पर वाक कर अपनी पीठ थपथपा ली जाती है। सामान्य घरों में भी यह बीमारी अपनी पैठ बना रही है। हाल यह है कि बेहतर इलाज के अभाव में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज दम तोड़ देते हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग तो दूर शासन की ओर से इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। जनपद में कुल 16 विकास खंड हैं जिसमें कहीं एक हजार, तो कहीं मरीजों का आंकड़ा दो हजार से ऊपर पहुंच चुका है। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करना तो दूर जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी-पीएचसी पर दवा तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे मरीजों को निजी मेडिकल स्टोरों से दवा खरीद कर ही खानी पड़ती है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक विश्व मधुमेह दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए शासन की ओर से कोई बजट नहीं दिया जाता है। बजट के अभाव में विभाग के अधिकारी सिर्फ खानपूर्ति के नाम पर एक गोष्ठी का आयोजन कर कोरम पूरा कर लेते हैं।

------------------ क्या है मधुमेह

मधुमेह मेटाबालिक बीमारियों का एक समूह है, जिसमें व्यक्ति के खून में ग्लूकोज (ब्लड शुगर) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। ऐसा तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन ठीक से न बने या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें। जिन मरीजों का ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है वो अक्सर पालीयूरिया (बार-बार पेशाब आना) से परेशान रहते हैं। उन्हें प्यास (पालीडिप्सिया) और भूख (पालिफेजिया) ज्यादा लगती है। ----------

तीन प्रकार के होते हैं डायबिटीज

चिकित्सक डा. आरके सिन्हा के अनुसार टाइप वन डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन नहीं बनता। मधुमेह के तकरीबन 10 फीसदी मामले इसी प्रकार के होते हैं, जबकि टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता। मधुमेह का तीसरा प्रकार है गैस्टेशनल मधुमेह, जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होता है। बताया कि टाइप वन मधुमेह की बीमारी अधिकांश बच्चों में पाई जाती है। बच्चों में इंसुलिन नहीं बनने से शुगर का खतरा बढ़ जाता है। टाइप 2 में अनुवांशिक के साथ 40 वर्ष से ऊपर के लोगों होता है। ------------

विश्व मधुमेह पर लोगों को जागरूक करने के लिए डायबिटीज वॉक का आयोजन होगा। फिलहाल शासन की ओर से इस बीमारी पर अंकुश लगाने को लेकर कोई न तो कोई अभियान चलाया जाता है और न ही बजट ही मुहैया कराया जाता है।- डा. जीसी मौर्या, सीएमओ -------------

लक्षण:- अत्यधिक मात्रा में पेशाब होना - भूख अधिक लगना - वजन का कम होना - थकावट महसूस करना ---

बचाव:

- वजन पर कंट्रोल करें। - घी-तेल के सामानों का सेवन न करें।

- बाजार के खाद्य वस्तुओं का सेवन अधिक न करें ----

सलाह:- मधुमेह होने पर नियमित जांच कराएं। - चिकित्सकों की सलाह अवश्य लें। - दवा का नियमित सेवन करें। - चिकित्सक की सलाह पर भोजन करें। ---

खतरा:

- आंखों पर असर होने से रोशनी चली जाती है।- गुर्दा पर भी असर पड़ता है। - हृदय रोग की खतरा बढ़ जाता है।

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