कला संस्कृति और सभ्यता को प्रवाह देता है रंगमंच

क्षेत्र के सिधौना रामलीला प्रांगण में विश्व रंगमंच दिवस पर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 06:34 PM (IST)
कला संस्कृति और सभ्यता को प्रवाह देता है रंगमंच
कला संस्कृति और सभ्यता को प्रवाह देता है रंगमंच

जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : क्षेत्र के सिधौना रामलीला प्रांगण में विश्व रंगमंच दिवस पर कलाकारों की बैठक हुई। प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रकाश दीक्षित ने कहा कि टीवी सिनेमा और इंटरनेट युग में कला संस्कृति का अद्भुत संयोजन रंगमंच कुछ रामलीला मंचों तक ही सिमट कर रह गया है। नृत्य संगीत अभिनय और गायन जैसे प्रतिभा को दर्शाने वाले रंगमंच की उपयोगिता समाप्ति की कगार पर है। गीत, कविता, कहानियों और नाटक प्रहसन आदि के लेखकों की उदासीनता भी रंगमंच के मूल को कम कर रहे हैं। डा. रामजी बागी कहते हैं कि रंगमंच युवाओं को सामाजिक और सामूहिक प्रस्तुतिकरण के लिए प्रेरणादायक आत्मविश्वास प्रदान करता है। जीवन के सभी रसों का जीवंत अभिनय करने से जीवन के वास्तविक उतार चढ़ाव में मानसिक मजबूती और समरूपता में मदद मिलता है। रंगमंच के माध्यम से हमारे कला संस्कृति साहित्य और सभ्यता का मनोरंजक प्रदर्शन लोगों में जागरूकता, जानकारी और कौतूहल पैदा करता है। रंगमंच सरकारी और सामाजिक उदासीनता का शिकार होकर अपना अस्तित्व खो रहा है। रामबरत सिंह, संजय भारती, प्रवेश गुरु, शिवजी मिश्रा, विनोद सिंह, रविद्र यादव आदि रहे।

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