बेटों को सिखा रहीं खाना बनाना, खुद पढ़ रहीं किताबें

लॉकडाउन में घर के अंदर रह कर लोग कोरोना से बचने के साथ कई ऐसे कार्य कर रहे हैं जो वक्त की कमी के कारण सामान्य दिनों में संभव नहीं हो रहे थे। शिक्षिका डॉ. हेमलता राजपूत ने बताया कि वह इन दिनों किताबें पढ़ कर ज्ञान अर्जन करने के साथ अपने बेटों को खाना बनाना सीखा रही हैं। योगा करके तंदुरुस्त रहने का प्रयास कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Apr 2020 07:01 PM (IST) Updated:Mon, 13 Apr 2020 07:01 PM (IST)
बेटों को सिखा रहीं खाना बनाना, खुद पढ़ रहीं किताबें
बेटों को सिखा रहीं खाना बनाना, खुद पढ़ रहीं किताबें

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : लॉकडाउन में घर के अंदर रहकर लोग कोरोना से बचने के साथ कई ऐसे कार्य कर रहे हैं, जो वक्त की कमी के कारण सामान्य दिनों में संभव नहीं हो रहे थे। शिक्षिका डॉ. हेमलता राजपूत ने बताया कि वह इन दिनों किताबें पढ़ कर ज्ञान अर्जन करने के साथ अपने बेटों को खाना बनाना सीखा रही हैं। योग करके तंदुरुस्त रहने का प्रयास कर रही हैं।

डॉ. हेमलता राजपूत एमबी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की प्रिसिपल हैं। वह राकेश मार्ग स्थित गुलमोहर एंक्लेव सोसायटी में रहती हैं। उनका बड़ा बेटा स्वास्तिक सिंह 12वीं और छोटा बेटा भव्य सिंह 10वीं कक्षा में है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान दोनों बेटों को घर की सफाई करना और खाना बनाना सिखा रही हैं। दाल, चावल, पिज्जा, नूडल्स, पराठा और कुछ सब्जियां बनाना सिखा चुकी हैं। कई अन्य डिश बनाने का प्रशिक्षण जारी है। उन्होंने बताया कि भविष्य में बेटों को बाहर पढ़ने जाना है। खाना बनाना सीख जाएंगे तो कहीं रहने में परेशानी नहीं होगी। जो मन करेगा, वह बनाकर खा सकेंगे। ऐसे ही घर की सफाई करना आ जाएगा तो इन्हें सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि अब तक बेटे को केवल मैगी बना पाते थे।

शिक्षिका डॉ. हेमलता राजपूत ने बताया कि वह इन दिनों सेहत पर भी ध्यान दे रही हैं। रोजाना सुबह योग कर रही हैं। पहले स्कूल जाने की तैयारी करने में ही समय बीत जाता था। व्यायाम के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता था। यह भी बताया कि कामकाज के बाद वक्त मिलने पर वह दयानंद सरस्वती की किताब सत्यार्थ प्रकाश पढ़ चुकी हैं। श्रीराम शर्मा आचार्य की किताब परिवर्तन कैसे और कब पढ़ रही हैं।

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