स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों पर बैठाया गया पहरा, पल-पल की कार्रवाई पर नजर रखेंगे मजिस्ट्रेट
तीन मजिस्ट्रेट केवल स्वास्थ्य विभाग के अफसरों डॉक्टरों स्टाफ और चपरायी तक का यह ब्यौरा एकत्र करेंगे कि वे डयूटी पर कब आते हैं और घर कब जाते हैं।
गाजियाबाद [मदन पांचाल]। कोरोना की रोकथाम में जुटे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की पल-पल की गतिविधियों पर प्रशासन ने पहरा बैठा दिया है। शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की हर कार्रवाई पर नजर रखने के लिए मजिस्ट्रेट नामित कर दिए गए हैं। डीएम अजय शंकर पांडेय के आदेश पर रविवार को आधा दर्जन मजिस्ट्रेटों ने काम शुरू कर दिया है।
कोविड रोकथाम के लिए खरीदे जाने वाले चिकित्सा संसाधन, उपकरण और सामग्री क्रम करने और नेशनल हेल्थ मिशन के फंड का कोविड में उपयोग किए जाने के लिए पांच अफसरों की समिति गठित कर दी गई है। एडीएम प्रशासन संतोष कुमार वैश्य, मुख्य कोषाधिकारी लक्ष्मी मिश्रा, वीरेंद्र कुमार उपायुक्त उद्योग, एसीएमओ डॉ. डी एम सक्सेना और डॉ. संजय अग्रवाल को समिति में शामिल किया गया है
पोर्टल द्वारा डिजिटल रीयल टाइम केस मानीटरिंग के लिए एडीएम भूमि अध्याप्ति मदन गर्ब्याल की देखरेख में चार अफसरों की समिति बनाई गई है। मजिस्ट्रेट नामित किए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों में हलचल मच गई है। अभी तक मनमाने तरीके से कोविड की रोकथाम का कार्य चल रहा था लेकिन कुछ शिकायतों के बाद डीएम ने यह ठोस एवं प्रभावी निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी पर रखी जाएगी नजर
तीन मजिस्ट्रेट केवल स्वास्थ्य विभाग के अफसरों, डॉक्टरों, स्टाफ और चपरासी तक का यह ब्यौरा एकत्र करेंगे कि वे डयूटी पर कब आते हैं और घर कब जाते हैं। पिछले दिनों सीएमओ की जांच में पता चला था कि कई डॉक्टर दो महीने से डयूटी पर ही नहीं आ रहे हैं। सीएमओ ने इनका वेतन भी रोका लेकिन डयूटी से गायब रहने का सिलसिला जारी बताया गया है। सर्विलांस और पॉजिटिव मरीजो को हर हाल में अस्पताल में भर्ती कराए जाने के लिए चार अफसरों की डयूटी लगाई गई है। कई अफसरों ने रविवार को एमएमजी के अलावा संयुक्त अस्पताल में पहुंचकर विभाग की गतिविधियों का जायजा भी लिया।