अवैध निर्माण ध्वस्त करने को तैयार नहीं हो रहीं एजेंसियां

अवैध निर्माण ध्वस्त करने के लिए जीडीए एक एजेंसी नहीं तलाश पा रहा। पिछले सवा साल से एजेंसी ढूंढने के प्रयास विफल रहे हैं। इस महीने पांच ध्वस्तीकरण एजेंसियों से बात की गई। कई तरह के खतरों को देखते हुए सबने ध्वस्तीकरण करने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में तेजी से अवैध निर्माण ध्वस्त करने में दिक्कत आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 05:23 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 05:23 PM (IST)
अवैध निर्माण ध्वस्त करने को तैयार नहीं हो रहीं एजेंसियां
अवैध निर्माण ध्वस्त करने को तैयार नहीं हो रहीं एजेंसियां

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : अवैध निर्माण ध्वस्त करने के लिए जीडीए एक एजेंसी नहीं तलाश पा रहा है। पिछले सवा साल से एजेंसी ढूंढने के प्रयास विफल रहे हैं। इस महीने पांच ध्वस्तीकरण एजेंसियों से बात की गई। कई तरह के खतरों को देखते हुए सबने ध्वस्तीकरण करने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में तेजी से अवैध निर्माण ध्वस्त करने में दिक्कत आ रही है।

पिछले वर्ष 22 जुलाई को आकाश नगर में अवैध निर्माणाधीन इमारत जमींदोज हो गई थी। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि आठ मजदूर घायल हुए थे। इसके बाद जीडीए अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए सक्रिय हुआ था। संसाधनों की कमी के चलते ध्वस्तीकरण एजेंसी को नियुक्त करने का फैसला किया गया। कई बार टेंडर निकाले गए। उसमें एजेंसियों ने आवेदन किया, लेकिन आवासीय क्षेत्रों में ध्वस्तीकरण के दौरान सामने आने वाली समस्याओं को देख सबने हाथ पीछे खींच लिए। एजेंसियों को विरोध का डर सताने लगता है। ऐसे में अवैध निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई उस गति से नहीं हो पा रही, जितनी तेजी से होनी चाहिए।

जीडीए के रिकॉर्ड को देखें तो वर्ष 2018-19 में 1683 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए थे, उनमें से 963 को ध्वस्त करने के आदेश पारित हुए। ध्वस्तीकरण महज 323 अवैध निर्माणों का हुआ। वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से अब तक 554 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं। उसमें से 270 को ध्वस्त करने के आदेश पारित हैं, लेकिन 151 को ही ध्वस्त किया जा सका है।

नहीं अनुभव

ज्यादा एजेंसियां ऐसी पहुंचीं, जिन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में ध्वस्तीकरण किया। ऐसे क्षेत्रों में उद्योगों की इमारतें एक दूसरे से सटी नहीं होती। यहां एक इमारत को ध्वस्त करने पर दूसरी औद्योगिक इकाई को खतरा नहीं होता। लेकिन, रिहायशी इलाकों में इमारत एक-दूसरे से सटी होती हैं। इस बात का खतरा ज्यादा रहता है कि एक फ्लैट तोड़ने पर कहीं दूसरे का घर न गिर जाए।

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ध्वस्तीकरण के लिए एजेंसी की तलाश जारी है। काफी प्रयास किए गए, लेकिन एजेंसियां क्षेत्र देखने के बाद दोबारा नहीं आतीं। इस महीने पांच एजेंसियां क्षेत्र देखने के बाद लौट चुकी हैं।

- विवेकानंद सिंह, मुख्य अभियंता, जीडीए

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