खूंखार बंदरों ने बच्ची को नोचा, हालत गंभीर

जागरण संवाददाता, शालीमार गार्डन : बृहस्पतिवार को शालीमार गार्डन बी ब्लॉक में गली में खेल रही तीन साल

By Edited By: Publish:Thu, 26 Nov 2015 08:44 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2015 08:44 PM (IST)
खूंखार बंदरों ने बच्ची को नोचा, हालत गंभीर

जागरण संवाददाता, शालीमार गार्डन : बृहस्पतिवार को शालीमार गार्डन बी ब्लॉक में गली में खेल रही तीन साल की मासूम बच्ची पर बंदरों के झुंड ने खूनी हमला बोल दिया।

बच्ची को बंदरों से नुचता देख आसपास के लोगों ने शोर मचाया और पत्थरों से मारकर भगाया। बंदर भागने से पहले बच्ची के हाथ पर काट चुके थे जिससे वह खून से लथपथ हो चुकी थी। लोगों का कहना है कि इलाके में पिछले एक सप्ताह में बंदरों ने तीन लोगों को और भी निशाना बनाया है। बंदरों के हमले के बाद से बच्ची सहमी हुई है।

हमले के वक्त गली में खेल रही थी बच्ची :-

शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-2बी में नवीन कुमार पत्नी प्राची और तीन साल की बच्ची शुचि के साथ रहते हैं। नवीन इलेक्ट्रिकल सामान की दुकान का संचालन करते हैं। बृहस्पतिवार को वह दुकान पर गए थे। प्राची घर में काम कर रही थी। उनकी तीन साल की बेटी घर के पास गली में खेल रही थी। इस दौरान अचानक 8 से दस बंदर बि¨ल्डग की छत से उतरकर आए और सुचि पर हमला बोल दिया। एक बंदर ने उसके हाथ पर काट दिया जिससे खून से लथपथ बच्ची चिल्लाने लगी।

आसपास के लोगों ने बचाई जान :-

खूंवार बंदरों से आसपास मौजूद लोगों ने यह देखा तो शोर मचाकर बंदरों की ओर पत्थर फेंके। जिसके बाद बंदर भागने लगे। वरना कुछ भी हो सकता था। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो लोगों ने तुरंत बच्ची को उठाया और पास के निजी अस्पताल में लेकर गए। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई है लेकिन वह बुरी तरह से सहमी हुई है। उधर नगर निगम के अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा ने बताया कि बंदरों को पकड़ने का प्रावधान नहीं है। जल्द ही वन विभाग के साथ मिलकर बंदर पकडऩे के लिए अभियान चलाया जाएगा। वन विभाग भी जल्द ही अभियान चलाने की बात कह रहा है।

पहले भी हमलावर हुए हैं बंदर :

कंकरीट के जंगलों की तरह फैल रहे ट्रांस ¨हडन में बंदरों के द्वारा खूनी हमला कोई नया माला नहीं है। इससे पहले भी वसुंधरा, शालीमार गार्डन इंदिरापुरम, वैशाली, सूर्य नगर व ब्रज विहार में बंदरों के झुंड द्वारा लोगों को घायल कर उनकों हजारों का नुकसान पहुंचाने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। बंदरों के लिए स्थान नहीं होने से वह आबादी के बीच आ जाते हैं और लोगों पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

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