घर से ज्यादा बाजारों में दिखती है पर्व की रौनक

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद दीपावली जगमग दीपों को त्योहार है और घरों में इसकी रौनक कई दिनों पहले छा

By Edited By: Publish:Mon, 20 Oct 2014 06:25 PM (IST) Updated:Mon, 20 Oct 2014 06:25 PM (IST)
घर से ज्यादा बाजारों में दिखती है पर्व की रौनक

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद

दीपावली जगमग दीपों को त्योहार है और घरों में इसकी रौनक कई दिनों पहले छा जाती है। संस्कृति और धर्म के अनोखे संगम को दर्शाते इस पर्व में अब काफी परिवर्तन आ गए हैं। घरों की तैयारी से हटकर दीपावली अब बाजार पर निर्भर हो गई है। पांच दिनों के पर्वों का यह पर्व महज अब एक दिन में ही सिमट कर रह गया है। मौजूदा समय में बाजार व्यक्ति की हर जरूरत के लिए तैयार बैठा है। ऐसे में पर्व को मनाने की तैयारी में समय गंवाने की बजाय लोग रेडीमेड उत्पादों पर ही पूरी तरह से निर्भर हो गए हैं।

-घर से ज्यादा बाजार में दिखती है रौनक

करीब एक सप्ताह तक मनाया जाने वाला दीपावली का पर्व अब महज एक दिन में ही निबट जाता है। धनतेरस से दीवाली में विभिन्न पर्वो का क्रम चलता था। हनुमान जयंती, नरक दीपावली, गोव‌र्द्धन पूजा, भईया दूज पर जाकर ये पर्व समाप्त होता था। हालांकि इस बारे में पं. महेश बताते हैं कि समयाभाव और बाजार में मिलने वाले रेडीमेड उत्पादों ने त्योहारों के रंग को फीका कर दिया है। अब त्योहारों की रौनक बाजारों में अधिक और घरों में कम दिखाई देती है। बाजार में आज वो हर चीज मौजूद है, जिसकी घरों में आवश्यकता होती है। इसलिए लोग यही सोचते हैं कि कौन इतनी मेहनत करे, बाजार से ही खरीद लेते हैं।

दीपावली पर घर में रंगोली बनाना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन बाजारों में जब से इंस्टेंट रंगोली आई। तब से लोग इसी का प्रयोग करने लगे हैं। लोग रंगों के झंझट से बचकर इंस्टेंट रंगोली को तरजीह देने लगे हैं। तुराबनगर स्थित एक हैंडीक्राफ्ट के संचालक मनोज बताते हैं कि लोग अब रंगोली के रंग कम और इंस्टेंट रंगोली अधिक खरीदते हैं, जिन्हें बस चिपकाना भर है या फिर एक सांचा होता है जिसके ऊपर रंग बिखेरकर रंगोली बन जाती है। इसके अलावा पहले घरों के दरवाजे पर गेंदे के फूलों की लड़ियां लटकाई जाती थीं। उनके स्थान पर अब बंदरवार लटकाई जाने लगी हैं। इसलिए पर्व की तैयारी घरों में कम, बाजारों में अधिक दिखने लगी है।

chat bot
आपका साथी