रामलीला में स्थानीय लोग निभाते हैं किरदार

By Edited By: Publish:Mon, 22 Sep 2014 07:35 PM (IST) Updated:Mon, 22 Sep 2014 07:35 PM (IST)
रामलीला में स्थानीय
लोग निभाते हैं किरदार

अदिति उन्मुक्त, गाजियाबाद :

वैसे तो महानगर की रामलीलाओं के मंचन में मथुरा और वृंदावन के कलाकारों का ही जलवा रहता है, लेकिन गाजियाबाद में एक ऐसी अनूठी रामलीला भी है, जिसमें पढ़ाई और नौकरी कर रहे स्थानीय लोग 14 दिनों तक मंच पर रामायण के विभिन्न पात्रों को जीवंत करते हैं। इन कलाकारों का अभिनय न सिर्फ काबिल ए तारीफ होता है बल्कि 14 दिनों तक क्षेत्र के सभी लोग दिन व रात मेहनत करके इस मंचन को सफल बनाने की कोशिश में जुटे रहते हैं। प्रताप विहार सेक्टर 11 में उत्तराखंड समिति आदर्श रामलीला में पिछले बीस वर्षो से क्षेत्र के ही लोग रामलीला के मंचन में रामायण के पात्रों का अभिनय बखूबी निभाते आ रहे हैं।

खानपान की स्टाल, मनोरंजन, झूले और मेले व डीजे म्युजिक आदि से कोसों दूर यह रामलीला सिर्फ रामायण का आदर्श संदेश देने के लिए हर वर्ष आयोजित की जाती है, जिसमें क्षेत्र के बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी उत्साह से बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं।

1995 में पड़ी थी नींव

समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह बताते हैं कि वर्ष 1995 में सामूहिक प्रयास से रामलीला आयोजित की गई थी, जिसमें तब बहुत कम लोगों ने भाग लिया था, लेकिन जब दोबारा रामलीला को आयोजित किया गया तब इसमें काफी स्थानीय लोगों ने भाग लिया जो कि आज तक इसमें किरदार निभा रहे हैं। इस समय रामलीला में छोटे से बड़े, बैक स्टेज, मंचन करने और रामलीला की व्यवस्था करने वाले करीब दो सौ लोग हैं।

देर शाम से रात तक होता है अभ्यास :रामलीला में पात्र निभाने वाले अधिकतर कलाकार नौकरी पेशा हैं तो कई स्कूल-कालेज के छात्र जो पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में रात को नौ से 11 बजे तक यह रिहर्सल कर मंच पर अभिनय को प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं।

कोई नौकरीपेशा तो कोई कर रहा पढ़ाई

इस रामलीला का निर्देशन कर रहे उत्तम सिंह रावत पेशे से वकील हैं और 11 वर्षो से रामलीला का निर्देशन कर रहे हैं। उत्तम बताते हैं कि सरल संवादों, दोहे और चौपाइयों के साथ रामलीला का मंचन किया जाता है। इसके अलावा राम का पात्र निभा रहे सुरेश एमकॉम के विद्यार्थी हैं। लक्ष्मण का पात्र निभा रहे अमित नेगी भी पढ़ाई कर रहे हैं, सीता का पात्र निभा रहे दीपक बिष्ट बीकॉम के छात्र हैं। रावण का पात्र निभा रहे उत्तम सिंह प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। सूपर्णखा का पात्र निभा रहे दिग्पाल भी अपना व्यवसाय करते हैं। हनुमान बने रविंद्र भी प्राइवेट नौकरी करते हैं। इस तरह से प्रत्येक कलाकार दिन में तो अपने व्यक्तिगत जीवन में व्यस्त होता है, लेकिन शाम होते ही रामलीला के मंच पर यह सभी एक जुटकर अपने किरदार में खो जाते है और लगन के साथ अभ्यास करते है।

बच्चे बनाते हैं धनुष-गदा

रामलीला में प्रयोग होने वाले धनुष, गदा, तीर, कमान, भाले, तलवार, मुखौटे आदि सामान यहां बच्चे खुद बनाते हैं। रामलीला के मंचन में प्रयोग होने वाली यह सभी सामग्री यहां बच्चे बड़ी शिद्दत के साथ बनाकर रामलीला से जुड़ जाते हैं।

रामलीला में सभी का सहयोग

रामलीला समिति के महासचिव जगदीश ध्यानी बताते हैं कि लोगों के सहयोग से यह रामलीला विधिवत आयोजित की जाती है, जिसमें सभी लोग बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं। इस बार 24 सितंबर से यह रामलीला शुरू हो रही है।

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