विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द हैं बीमार शौचालय

By Edited By: Publish:Tue, 02 Sep 2014 06:03 PM (IST) Updated:Tue, 02 Sep 2014 06:03 PM (IST)
विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द हैं बीमार शौचालय

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सरकारी स्कूलों में शौचालयों की बीमार स्थिति से छात्र-छात्राओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्कूलों के शौचालयों की बिगड़ी स्थिति के लिए समाज का वह वर्ग भी जिम्मेदार है, जो स्कूलों के शौचालयों को सार्वजनिक शौचालयों के तौर पर इस्तेमाल करता है। स्कूल शुरू होने से पहले और स्कूल की छुट्टी होने के बाद अधिकांश प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शौचालय सार्वजनिक शौचालयों के रूप में तब्दील हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में खासकर लोग इनका प्रयोग करते हैं और गंदगी को छोड़ कर चले जाते हैं। शौचालयों में सफाई या पानी डालना इन लोगों की फितरत में कतई शामिल नहीं है। नगर क्षेत्र में भी कई इलाकों के विद्यालयों में अक्सर ऐसा ही देखने को मिलता है। इससे विद्यालय में आने वाले विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ती है। गंदगी के चलते विद्यार्थी स्कूल से बाहर जाकर निवृत होते हैं।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत भोजपुर ब्लाक के आदर्श विद्यालयों में अग्रणी बेगमाबाद के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल में बजट के अभाव में शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। स्कूल में बने आठों शौचालयों का इस्तेमाल बाहर के लोग कर रहे हैं। जिस कारण दुर्गध फैलती है और बच्चे इस वातावरण में पढ़ने को मजबूर हो रहे हैं।

बेगमाबाद स्थित प्राथमिक विद्यालय में गेट के एक छोर पर पांच शौचालय हैं। इस गेट पर बने शौचालयों का इस्तेमाल स्कूल के बाहर स्थित दुकानों के व्यापारियों व आने वाले ग्राहकों द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे गेट की ओर बने तीन शौचालयों का भी इस्तेमाल स्कूली बच्चे कम बाहरी लोग ज्यादा करते हैं। नियमित रूप से इन आठों शौचालयों की सफाई नहीं हो पाने के कारण चारों ओर गंदगी की भरमार रहती है। देख-रेख व सफाई के अभाव में इन शौचालयों के पास ही कूडे़ का ढेर लगा रहता है। हाल ही में बने इन शौचालयों की स्थिति जर्जर अवस्था में पहुंच गई है।

निजी स्वार्थ हावी, कॉलेजों में नहीं बन रहे शौचालय:

सरकार की उपेक्षा व प्रबंधन समिति के निजी स्वाथरें के चलते छात्रों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। शौचालय जैसी आवश्यक जरूरतों में साफ -सफाई की बात तो दूर हजारों छात्रों के लिए शौचालय ही नहीं हैं। ऐसे में छात्रों के लिए शिक्षा योजनाओं का सरकार के प्रयासों के बाद भी कोई लाभ छात्रों को नहीं मिल पा रहा है। शायद इसी कारण से सरकारी संस्थानों को दरकिनार कर अभिभावक अब निजी स्कूलोंको ज्यादा बेहतर मानने लगे हैं।

----

कॉलेज में छात्रों की संख्या को देखते हुए शौचालयों की उपलब्धता नहीं है। कई बार तो छात्रों को बाहर जाना पड़ता है। इससे छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सनी, छात्र, हंस इंटर कॉलेज

--------

शौचालयों में बदबू उठने के कारण अधिकाश छात्र बाहर ही जाते हैं। नियमित साफ -सफाई और पानी की कोई व्यवस्था न होने के कारण छात्रों की कॉलेज परिसर में बने शौचालयों से बीमारी का भी खतरा है। छात्र तो खुले में या बाहर जाकर निवृत होते है लेकिन ऐसे में छात्राओं को अधिक परेशानी होती है।

लकी त्यागी, विद्यार्थी

कॉलेजों में बने शौचालयों की पर्याप्त संख्या के लिए कई बार सरकार को अवगत कराया गया है। यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं हो पाता है तो प्रबंध समिति अपने स्तर पर पहल कर समाधान कराएगी।

भुवनेश्वर त्यागी, सदस्य

किसान नेशनल इंटर कॉलेज प्रबंध समिति

chat bot
आपका साथी