व्हीलचेयर से नूर बी ने तय किया हौसले का सफर

जोड़ों में दर्द से चलने फिरने में हो गई थी असमर्थ दिव्यांगता में की बीटीसी हर रोज व्हीलचेयर से जाती है स्कूल।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 May 2022 05:04 AM (IST) Updated:Sat, 21 May 2022 05:04 AM (IST)
व्हीलचेयर से नूर बी ने तय किया हौसले का सफर
व्हीलचेयर से नूर बी ने तय किया हौसले का सफर

अजय प्रताप सिंह, फिरोजाबाद:

सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती, संघर्ष में यह और निखरती है। जोड़ों के दर्द से व्हीलचेयर पकड़ चुकी नूर बी ने सपनों को साकार करने के लिए इसी मंत्र को अपना हथियार बनाया। फिरोजाबाद ब्लाक के प्राथमिक स्कूल कनेटा में तैनात सहायक अध्यापिका नूर बी ने दर्द पर काबू पाकर बीटीसी कर शिक्षिका बनने का संकल्प साकार किया है।

नगर के मुहल्ला गढ़ैया निवासी नूर बी ने बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया था। वर्ष 1999 में एमजी बालिका इंटर कालेज से बीए कर रही थी, उसी दौरान उन्हें जोड़ों में दर्द की शिकायत हो गई। पिता खुर्शीद अहमद ने फिरोजाबाद से लेकर दिल्ली के निजी अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन ठीक नहीं हो सकी। वे चलने फिरने में भी असमर्थ हो गईं। मगर, हौसला कम नहीं होने दिया। उन्होंने पिता से आगे की पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जताई। 2012 में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से बेसिक ट्रेनिग सर्टिफिकेट (बीटीसी) की। उन्हें डायट छोड़ने और वहां लाने की जिम्मेदारी पिता ने उठाई। इसी बीच नूर बी की शादी इटावा निवासी अनवर जमाल से हो गई। अक्टूबर 2013 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद के लिए भर्ती निकली तो उनका चयन हो गया। पहली पोस्टिग प्राथमिक विद्यालय कनेटा में हुई। तब से वह इसी स्कूल में तैनात हैं।

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पति ने भी दिया साथ, निभा रहे जिम्मेदारी: नूर बी बताती हैं, संकल्प को साकार करना इतना आसान नहीं था। ऐसी स्थिति में अधिकांश लोग अपना रास्ता बदल लेते हैं, लेकिन पिता ने अपना फर्ज निभाया तो हौसला और बढ़ गया। शादी के बाद पति ने भी साथ दिया तो सपना साकार हो गया। अब पति ही उन्हें स्कूल ले जाने और लाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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