पशुओं का ग्लैंडर्स रोग इंसानों में पहुंचने का खतरा

रोकथाम के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने कार्यशाला में दी जानकारी घोड़ा, खच्चर और गधों से फैलती है बीमारी, नहीं है कोई इलाज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 11:11 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 11:11 PM (IST)
पशुओं का ग्लैंडर्स रोग इंसानों में पहुंचने का खतरा
पशुओं का ग्लैंडर्स रोग इंसानों में पहुंचने का खतरा

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता।घोड़ा, गधा और खच्चर में होने वाली जानलेवा ग्लैंडर्स एवं फार्सी बीमारी के इंसानों तक पहुंचने का खतरा मंडराने लगा है। इसकी रोकथाम को लेकर पशु चिकित्सा विभाग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। पूरे जिले में रोग के संवाहक पशुओं के सैंपल लिए जाएंगे। हालांकि अभी तक एक भी केस सामने नहीं आया है।

पशु चिकित्सा विभाग ने इस बीमारी की पहचान एवं रोकथाम की जानकारी देने के लिए शुक्रवार को विकास भवन सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता अपर निदेशक आगरा मंडल डॉ. एसके मलिक ने की। इसमें सभी पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी और फार्मासिस्ट शामिल हुए। ब्रुक्स हॉस्पीटल ऑफ एनीमल से आए विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र चौधरी ने पावर प्रजेंटेशन के जरिए बीमारी के लक्षण, सैंपल लेने के तरीके और निदान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स का कोई इलाज नहीं है।

पहचान होने के बाद पशु को दर्द रहित मौत देना ही एकमात्र रास्ता है, जिससे इसे आगे फैलने से रोका जा सकता है। जिस क्षेत्र के पशु में इस रोग की पुष्टि होगी। उसके पांच किलोमीटर दायरे के सभी घोड़ों, गधों और खच्चरों का सैंपल लेना होगा। बीमारी से ग्रसित पशु के संपर्क में रहने से यह बीमारी इंसानों में भी हो सकती है। इसके बाद इसके संक्रमण को रोकना काफी मुश्किल होता है। कार्यशाला का संचालन करते हुए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रभंजन शुक्ला ने बताया कि अब तक हर महीने 20 पशुओं के सैंपल होते थे, लेकिन इसकी संख्या बढ़ाकर हर क्षेत्र से सैंपल लेने होंगे। यदि किसी पशु को मारना पड़ेगा तो उसके बदले पशुपालक को मुआवजा दिया जाएगा। प्रशिक्षण में मंडलीय लैब अधीक्षक डॉ. हरेंद्र ¨सह भी मौजूद रहे।

पशुओं में ये हैं ग्लैंडर्स के लक्षण:

-तेज बुखार होना, खाना पीना कम कर देना।

-नाक से स्त्राव आना।

-सांस लेने में तकलीफ और खांसी होना।

-नाक के अंदर फटे हुए छाले जैसा दिखाई देना।

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