मुश्किलों भरा रहा राहत की उम्मीदों का सफर

मुश्किलों भरा रहा राहत की उम्मीदों का सफर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 11:43 PM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 11:43 PM (IST)
मुश्किलों भरा रहा राहत की उम्मीदों का सफर
मुश्किलों भरा रहा राहत की उम्मीदों का सफर

संवाद सहयोगी, टूंडला(फीरोजाबाद): दिल्ली में लॉकडाउन की बंदिशों के बीच जब रेल की राहत की खबर आई तो अपनों तक पहुंचने की उम्मीदें खिलखिला रही थीं, मगर ये राहत का उम्मीदों का सफर इतना मुश्किल से भरा होगा किसी को पता नहीं था। रात दो बजे स्टेशन पर पहले वर्दी वालों को झेला और फिर डेढ़ किमी का सफर पैदल करवा दिया गया। आगरा के बाह की गर्भवती दौना देवी ने बताया कि पति हलवाई का काम करते हैं। हमने सोचा था कि ट्रेन से आराम से घर पहुंच जाएंगे, लेकिन सफर आफत भरा रहा। स्टेशन से किसी तरह पैदल निकली, लेकिन जब चल नहीं पाई तो पुलिस ने दया दिखाई और जीप से लाकर यहां छोड़ दिया। सुबह सात बजे चाय तो मिल गई, लेकिन बच्चों के लिए कुछ नहीं मिली। वहीं मैनपुरी की रहने वाली अनीता अपने पति और दो बच्चों के साथ बैठी कह रही थी कि हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी मुश्किल होगी। सुबह साढ़े दस बजे प्रशासन ने सभी को खाना पहुंचाया। इसके बाद दोपहर तक सबको बसों से रवाना कर दिया।

--जागरण ने पहुंचाया दूध, महिलाएं बोलीं थैंक्यू जागरण

सुबह लगभग नौ बजे भूख से बिखलते से बच्चों को देख यात्रियों ने हंगामा शुरू कर दिया। वे बाहर जाने से सामान खरीदने के लिए जाने देने की मांग कर रहे थे और पुलिस वाला रोक रहा था। एक दर्जन बच्चों की हालत देख जागरण ने दूध, बिस्किट और केले पहुंचाएं। इसके बाद बच्चों को दूध पिलवाया जा सका। सभी ने जागरण को मदद के लिए धन्यवाद दिया।

-हम तो जयपुर भाई की मौत पर दुख व्यक्त करने गए थे, लेकिन इसी दौरान लॉक डाउन हो गया और फंस गए। सफर में होने वाली दिक्कतें जिदगी भर याद रहेंगी। अमर सिंह, निवासी सैंया, आगरा

-लॉक डाउन में जिदगी कैसे कटी ई‌र्श्वर ही जानता है, जो भी कमाया था खर्च हो चुका था। खाने के भी लाले थे। परिवार के साथ घर आने में ही भलाई समझी। करीब पन्द्रह दिन से ऑन लाइन बुकिग करा रहे थे। तब जाकर 25 मई यात्रा की तारीख मिली।

विनोद कुमार, बाह आगरा

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