सुहागनगरी में उपचुनाव के बाद नहीं जीत सकी कांग्रेस

फीरोजाबादडॉ.राहुल ¨सघई। आजादी के बाद पहले आम चुनाव में लोकसभा सीट पर कब्जा करने वाली कांग्रेस कभी रिपीट हो ही नहीं पाई। वर्ष 1984 में इंदिरा लहर तक गई और आई की चला-चली में ही उलझी रही। इसके बाद वर्ष 2009 के उपचुनाव में सिने अभिनेता राजबब्बर ने जीत हासिल कर कांग्रेस को नई जिंदगी तो दी लेकिन पार्टी परदे के पीछे होती गई। चुनावी जिंदगी में हिचकियां ले रही कांग्रेस को अब कोई संजीवनी ही जीवनदान दे सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 11:04 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 11:04 PM (IST)
सुहागनगरी में उपचुनाव के बाद नहीं जीत सकी कांग्रेस
सुहागनगरी में उपचुनाव के बाद नहीं जीत सकी कांग्रेस

डॉ.राहुल ¨सघई, फीरोजाबाद: आजादी के बाद पहले आम चुनाव में लोकसभा सीट पर कब्जा करने वाली कांग्रेस कभी रिपीट हो ही नहीं पाई। वर्ष 1984 में इंदिरा लहर तक गई और आई की चला-चली में ही उलझी रही। इसके बाद वर्ष 2009 के उपचुनाव में सिने अभिनेता राजबब्बर ने जीत हासिल कर कांग्रेस को नई जिंदगी तो दी, लेकिन पार्टी परदे के पीछे होती गई। चुनावी जिंदगी में हिचकियां ले रही कांग्रेस को अब कोई संजीवनी ही जीवनदान दे सकती है।

देश के पहले आम चुनाव में रघुवीर ¨सह फीरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र के पहले सांसद बने थे, लेकिन अगले ही चुनाव में कांग्रेस से ये सीट छिन गई। इसके बाद एक बार कांग्रेस-एक बार अन्य का सिलसिला चलता रहा। मुलायम ¨सह के राजनीतिक उदय के बाद फीरोजाबाद में उनका प्रभाव बढ़ा। फीरोजाबाद की पहचान सपा के गढ़ के रूप में होती गई। इसके साथ ही कांग्रेस का पतन होता गया और लड़ाई भाजपा और सपा की हो गई। भाजपा ने 1991 से 1998 के बीच हुई तीन लोस चुनावों में लगातार जीत हासिल की, लेकिन उसके बाद भाजपा पटरी से उतर गई और सपा राज चलता रहा।

वर्ष 1984 में इंदिरा लहर में कांग्रेस ने लोकसभा सीट तो जीती, मगर विस चुनाव में प्रदर्शन गड़बड़ा गया। जिले की चार सीटों में से केवल टूंडला में कांग्रेस के अशोक सेहरा अपनी विरासत वाली सीट बचा पाए। वर्ष 2007 में विस चुनाव ़में कांग्रेस को टूंडला सीट पर महज 800 वोट ही मिले। कांग्रेस के बुजुर्ग नेता कहते हैं कि जातीय राजनीति का शिकार हुई कांग्रेस संभल नहीं पाई और डूबती चली गई। स्थानीय गुटबाजी भी बढ़ती गई।

2009 में ¨जदा हुई थी कांग्रेस.

सिने स्टार और पुराने समाजवादी रहे राजबब्बर कांग्रेस की टिकट पर 2009 में लोकसभा उपचुनाव में मैदान में उतरे। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पांच हजार वोट मिले थे, वहीं उपचुनाव में राजबब्बर 90 हजार वोटों से जीते थे। जिलाध्यक्ष हरीशंकर तिवारी बताते हैं कि यह सच है कि कांग्रेस को संजीवनी की जरूरत है, मगर चेहरा हो तो हम बाजी पलट सकते हैं। सैफई परिवार के आमने-सामने आने के बाद अब वीआइपी सीट हो गई है, इस बार हम बड़े चेहरे की मांग कर रहे हैं।

पहले से अब तक

1952-रघुवीर ¨सह कांग्रेस

1957- ब्रजराज ¨सह सेसोपा

1962 शंभूनाथ चतुर्वेदी-कांग्रेस

1967 शिवचरनलाल वाल्मिकी-सेसोपा

1971-छत्रपति अम्बेश-कांग्रेस

1977-रामजीलाल सुमन-जनता पार्टी

1980-राजेश कुमार दमकिपा

1984-गंगाराम कांग्रेस

1989-रामजीलाल सुमन-जनता दल

1991-प्रभूदयाल कठेरिया-भाजपा

1996-प्रभूदयाल कठेरिया-भाजपा

1998 प्रभूदयाल कठेरिया-भाजपा

1999-रामजीलाल सुमन-सपा

2004-रामजीलाल सुमन-सपा

2009- अखिलेश यादव-सपा

2009 उपचुनाव-राजबब्बर-कांग्रेस

2014 अक्षय यादव-सपा

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