सपा की साख बढ़ा रही भगवा खेमे की टेंशन, फिरोजाबाद सीट पर जातीय समीकरणों में उलझी भाजपा, इन नामों पर चर्चा तेज

उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों के जीत के लक्ष्य के साथ धरातल पर उतरी भाजपा हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। यही कारण है 2019 तक सपा की गढ़ कही जाने वाली फिरोजाबाद सीट पर अब तक अपना प्रत्याशी नहीं घोषित कर पाई है। अब भाजपा इस सीट पर अक्षय यादव के खिलाफ किसी यादव या लोधी समाज के नेता पर दांव लगा सकती है।

By Rajeev Sharma Edited By: Abhishek Pandey Publish:Thu, 11 Apr 2024 09:37 AM (IST) Updated:Thu, 11 Apr 2024 09:37 AM (IST)
सपा की साख बढ़ा रही भगवा खेमे की टेंशन, फिरोजाबाद सीट पर जातीय समीकरणों में उलझी भाजपा, इन नामों पर चर्चा तेज
जातीय समीकरणों में उलझी भाजपा, यादव और लोधी पर मंथन

राजीव शर्मा, फिरोजाबाद। (Firozabad Lok Sabha Seat) मैनपुरी में मुलायम सिंह की विरासत सहेजने के साथ ही पिछले चुनाव में गंवाई फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर वापसी के लिए सपा की छटपटा ने भगवा खेमे की जद्दोजद बढ़ा दी है। यही वजह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अभी तक फिरोजाबाद सीट पर प्रत्याशी तय नहीं कर पाया है।

पर्यटन मंत्री को मैनपुरी से प्रत्याशी बनाने के बाद पार्टी यहां से किसी पिछड़े को लड़ने पर विचार कर रही है। यादव और लोधी के साथ अन्य विकल्पों पर भी मंथन चल रहा है।

12 अप्रैल से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया

फिरोजाबाद और मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) पर चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 12 अप्रैल से शुरू होगी, लेकिन भाजपा अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। मैनपुरी की तरह फिरोजाबाद भी सपा का गढ़ है। 2009 में अखिलेश यादव ने यहां से चुनाव लड़ा। उन्होंने सीट छोड़ी तो उप चुनाव में अपना कब्जा बनाए रखने के लिए सैफई परिवार ने पहली बार डिंपल यादव के मैदान में उतारा।

ये अलग बात है कि कांग्रेस के राजबब्बर के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 के चुनाव में सैफई परिवार ने अक्षय यादव को लांच किया गया। उनकी जीत के लिए सरकार ने पहले से तैयारी की। इसका परिणाम अक्षय की जीत के रूप में सामने आया।

2019 में सपा को मिली थी हार

2019 के चुनाव में सैफई परिवार बिखरा तब भी फिरोजाबाद सीट पूरे परिवार के लिए अहम रही। सपा ने अक्षय यादव को दूसरी बार चुनाव लड़ाया तो उन्हें पटकनी देने के लिए अपनी अलग पार्टी बना चुके शिवपाल यादव ने भी यहीं से चुनाव लड़ा।

नतीजा ये हुआ कि चाचा-भतीजे दोनों हार गए और कमजोर माने जा रहे भाजपा के डा. चंद्रसेन जादौन संसद पहुंच गए। इस बार सपा इस सीट पर वापसी के लिए पूरी दम लगाए हुए है। अक्षय यादव की जीत को अपनी साख का प्रश्न बना लिया है। इस चुनाव का परिणाम उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा।

चाचा शिवपाल के साथ आने से अक्षय की स्थिति पहले से काफी मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में भाजपा इस बार कोई चांस लेना नहीं चाहती। इसलिए प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि, राजनीतिक पकड़ और जातीय आंकड़ों का भी ध्यान रखा जा रहा है।

लोधी या यादव समाज से प्रत्याशी बना सकती है भाजपा

भाजपा के साथ ही अन्य दलों के नेताओं का मानना है कि मैनपुरी से पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को प्रत्याशी बनाने के बाद भाजपा फिरोजाबाद से किसी यादव या लोधी को प्रत्याशी बना सकती है। इसलिए सिरसागंज के पूर्व विधायक हरिओम यादव और पूर्व जिलाध्यक्ष मानवेंद्र प्रताप सिंह लोधी की दावेदार मजबूत मानी जा रही है।

राज्य सभा सदस्य अनिल जैन और रामकैलाश यादव के नाम भी चर्चा में हैं। वहीं मंत्री की दावेदारी खत्म होने से टिकट मांग रहे भाजपा के अन्य नेताओं की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।

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