आधे-अधूरे मानक पर अस्पतालों का हो रहा चयन

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों की कमी के चलते आयुष्मान भारत योजना के

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:36 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 11:36 PM (IST)
आधे-अधूरे मानक पर अस्पतालों का हो रहा चयन
आधे-अधूरे मानक पर अस्पतालों का हो रहा चयन

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों की कमी के चलते आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के समय व सही इलाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिले में दो लाख चार हजार परिवारों को गोल्डन कार्ड जारी कर साल में पांच लाख तक का इलाज कैशलेस करने की तैयारियों में जिले के जिन अस्पतालों का चयन किया जा रहा है, वह मानक पूरे नहीं कर पा रहे है। आधे-अधूरे मानक पर अस्पतालों के नाम तय किए जाने से भारत सरकार की गरीबों को बेहतर इलाज देने की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। निजी क्या सरकारी अस्पताल भी तय मानक पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

पड़ताल के बाद हो रहा चयन

- आयुष्मान के पैनल में शामिल होने के लिए अस्पतालों को आनलाइन आवेदन करना होता है। संख्या में जिले में बीस अस्पतालों ने आवेदन किया। जिला स्तर पर जिला हेल्थ एजेंसी में डीएम व उनके नामित प्रतिनिधि, सीएमओ व चार अन्य चिकित्सकों को अस्पतालों की पड़ताल करके रिपोर्ट प्रदेश हेल्थ एजेंसी को भेजी है। जिले में अभी तक सरकारी में जिला पुरूष व महिला अस्पताल, ¨बदकी सीएचसी का चयन किया है। निजी अस्पतालों में अनुभव डेंटल, श्रीरामरतन नर्सिंग होम, करूणा जीवन ज्योति का चयन किया है। इसके अलावा श्याम नर्सिंग होम, रामसनेही मेमोरियल व ब्राडवेल मिशन हास्पिटल कुछ शर्तें पूरी करने के साथ आयुष्मान में शामिल करने का प्रस्ताव है।

यह होनी चाहिए सुविधा

- अस्पतालों को 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी करनी होगी।

- पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांच की सुविधा पूरे समय उपलब्ध रहनी चाहिए।

- डायलसिस यूनिट, कैंसर के इलाज के लिए लीनियर एक्सलरेटर पेट, सीटी के साथ आधुनिक सर्जरी ओटी जरूरी है।

- अस्पतालों में हार्ट, न्यूरो, ट्रामा, जैसी सभी सुपरस्पेशलिटी सुविधाओं से लैश होना चाहिए।

यह आ रही दिक्कत

- मानक पर गौर किया जा जाए तो जिले में निजी क्या सरकारी जिला अस्पताल तक खरा नहीं उतर आ रहा है। जिला हेल्थ एजेंसी ने जिन अस्पतालों का चयन किया है वह सुविधाओं व विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती के लिहाज से कहीं से भी फिट नहीं बैठ रहे है। निजी अस्पतालों में आन काल जिन डाक्टरों की उपस्थिति दिखाई गई हैं उसमें ज्यादातर कानपुर महानगर के है और एक नहीं कई अस्पतालों में उनके नाम बताए जा रहे है। ऐसे में इन अस्पतालों में गंभीर मरीज के पहुंचने पर इलाज किस तरह से होगा इस पर सवाल खड़े हो रहे है।

' जिला हेल्थ एजेंसी से जिले के चार अस्पतालों के नाम स्टेट एजेंसी के पास भेजे गए है, मानक पूरा न करने वाले अस्पतालों को शामिल नहीं किया जाएगा। ' उमाकांत पांडेय- सीएमओ

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