पर्यावरण बचाने को पॉलीथिन से करें तौबा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए पॉलीथिन व प्लास्टिक बेहद हानिकारक ह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 07:31 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 07:31 PM (IST)
पर्यावरण बचाने को पॉलीथिन से करें तौबा
पर्यावरण बचाने को पॉलीथिन से करें तौबा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए पॉलीथिन व प्लास्टिक बेहद हानिकारक है। सालों नष्ट न होने वाली यह पॉलीथिन जल, जमीन व जीवन के लिए खतरा बन गई है। शासन ने रविवार से पचास माइक्रोन के पॉलीथिन पर रोक लगाई तो बाजार सहमा सा रहा। सुबह से दोपहर तक तो थोक विक्रेता माल की बिक्री करते रहे, लेकिन जब मालूम हुआ कि प्रशासन की टीम निकली है तो दुकान में ताला लगाकर निकल गए। दुकानदार भी फल व सब्जी पॉलीथिन में इस चेतावनी के साथ देते रहे कि भइया अब घर से थैला लेकर आया करिए। कुछ जागरूक संस्थाएं पॉलीथिन व प्लास्टिक के नुकसान को बता कर इसे पूरी तरह से त्याग करने की सीख देते हुए जागरूकता अभियान चलाया।

जिले में पॉलीथिन, प्लास्टिक व थर्माकोल का कारोबार प्रतिदिन दस लाख का हो रहा है। थोक व फुटकर में हर माह पांच से छह टन की खपत हो जाती है। पॉलिथिन के अंधाधुंध प्रयोग होने से पर्यावरण व सेहत का खतरा बढ़ता जा रहा है। सुविधा के लिए लोग घर से हाथ हिलाते बाजार आते है और पॉलीथिन के ढेर सारे थैले घर लेकर जाते है। हरी सब्जी, फल, दूध, कपड़ा, परचून का सामान सहित अन्य सामाग्री के पॉलीथिन के थैलों के सहारे ही घर पहुंचती है। एनजीटी के आदेश पर पहले भी सूबे में पॉलीथिन पर रोक लगाई गई थी दो-चार दिन के अभियान के बाद प्रशासनिक हमला के शांत हो जाने से बैन पूरी तरह से निष्प्रभावी हो गया। इस बाद प्रदेश की योगी सरकार ने तीन चरणों में इसे प्रतिबंधित करने की जो योजना बनाई है उससे बाजार में सनसनी फैली हुई है।

पॉलीथिन से नुकसान

- पॉलीथिन के प्रयोग से सांस व त्वचा व कैंसर जैसे मर्ज होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

- सालों तक नष्ट न होने से पॉलीथिन से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है।

- शहर में गंदगी का एक मुख्य कारण है, नाला-नाली पॉलीथिन से चोक हो जाते हैं।

- पॉलीथिन खा लेने से गाय व पशुओं की मौत तक हो जाती है।

- पॉलीथिन जलाने पर ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है, जो कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए खतरा है।

कपड़ा, जूट व कागज के बैग हैं विकल्प

- पर्यावरण को दूषित होने से बचाने व खुद की सेहत के लिए यह जरूरी है कि हमे कपड़ा, जूट, नायलान और कागज के बैग का इस्तेमाल करें। घर से कपड़ा का झोला लेकर निकलने की आदत डाले। पॉलीथिन में घर सामान ले जाने से पूरी तरह से तौबा कर ले। पॉलीथिन का विकल्प कपड़ा का झोला तो हर किसी के लिए सहज व सस्ता है। पुराने कपड़ों से ही महिलाएं झोला तैयार कर लेती है। जूट व कागज के बैग भी बाजार में उपलब्ध हो गए है।

... हाथ में लेकर निकले थैला

- नुकसानदेय पॉलीथिन व प्लास्टिक का उपयोग न करने को आगाह करने के लिए कई संस्थाओं ने काम शुरू कर दिया है। नगर उद्योग व्यापार मंडल की टीम अध्यक्ष किशन मेहरोत्रा की अगुवाई में निकली जो व्यापारियों व ग्राहकों के बीच जागरूकता के स्लोगन लिखे पंपलेट वितरित कर घर से थैला लेकर आने की अपील करते रहे। शहर को न करे मैला, हाथ में लेकर निकले थैला जैसे स्लोगन से सचेत करते रहे। अभिषेक यादव, मो.असलम, गंगा सागर, मनोज कुमार, धनंजय तिवारी, चंद्रमोहन आदि रहे। गंगा बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र शरण ¨सपल व वैश्य एकता परिषद के पदाधिकारी विनोद गुप्त भी टीम के साथ निकल कर लोगों को पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में बताते रहे।

एक लाख का जुर्माना व सजा

- पचास माइक्रोन तक की पॉलीथिन प्रतिबंधित करने के साथ ही शासन ने इसे बनाने, व बेंचने पर एक लाख तक का जुर्माना व छह माह तक की सजा का प्राविधान किया है। पहले चरण में इसे नगर पालिका फतेहपुर, ¨बदकी, नगर पंचायत खागा, किशुनपुर, हथगाम, बहुआ व जहानाबाद में इसे प्रभावी किया गया है। डीएम आंजनेय कुमार ¨सह ने कहा कि पहले दिन चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है। सोमवार से पॉलीथिन बनाने व बेंचने वाले मिले तो सीधे कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सभी निकायों में टीम गठित कर एसडीएम व सीओ को प्रभारी बनाया गया है।

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