अफसर और नेता बदले पर नहीं दे सके एक पक्का रास्ता

संवाद सूत्र किशुनपुर विजयीपुर ब्लाक के पहोरा गांव में स्कूल तो बना है लेकिन वहां तक पहुंचने

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 06:04 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 06:04 PM (IST)
अफसर और नेता बदले पर नहीं दे सके एक पक्का रास्ता
अफसर और नेता बदले पर नहीं दे सके एक पक्का रास्ता

संवाद सूत्र, किशुनपुर : विजयीपुर ब्लाक के पहोरा गांव में स्कूल तो बना है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता 40 वर्ष बीतने के बाद भी नहीं बन पाया है। खैर, कारण जो भी रहें हों, पर इस दौर में कई अफसर और नेता बदल चुके हैं। विकास निधि भी खर्च हो गई, लेकिन बच्चों को एक पक्का रास्ता नहीं दे पाई। ऐसे में पगडंडी के सहारे देश के कर्णधार विद्यालय की दूरी नाप रहे हैं। वहीं, बरसात के दिनों में इन छात्रों को विद्यालय पहुंचने में बहुत दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

पहोरा गांव में वर्ष 1982 में परिषदीय विद्यालय की इमारत बनी थी। अगले वर्ष से ही बिल्डिंग में कक्षा संचालन शुरू हो गया। विद्यालय तक जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं बना। खेत के मेड़ व कच्चे रास्ते से होकर नौनिहाल विद्यालय आते-जाते हैं। मौजूदा वर्ष में कक्षा एक से पांचवी तक के 60 छात्रों का पंजीकरण है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार स्कूल तक के लिए एक पक्का मार्ग बनवाने की मांग की गई। रास्ता सही न होने की वजह से बच्चे जोखिम उठाकर स्कूल आते-जाते हैं। रामू सिंह, राकेश कुमार, प्रमोद सिंह आदि ग्रामीणों का कहना था बारिश के दिनों में सबसे अधिक समस्या होती है। छोटे बच्चों को गोद में लेकर स्कूल छोड़ने जाना पड़ता है। कीचड़ व फिसलन की वजह से बच्चे गिरकर चुटहिल हो जाते हैं। बरसात के दिनों में जहरीले कीड़ों का जोखिम भी रहता है। प्रधानाचार्य मनमोहन सिंह का कहना था विद्यालय निर्माण के साथ ही पक्का रास्ता बनना चाहिए था। रास्ता सही न होने की वजह से शिक्षकों को भी समस्या होती है। पहोरा गांव में परिषदीय विद्यालय तक पक्का रास्ता न होने की समस्या संज्ञान में है। उक्त के संबंध में उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है। जैसे ही इस संबंध मे कोई आदेश प्राप्त होता है, उस पर अमल किया जाएगा।

राजीव रंजन, बीईओ-विजयीपुर

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