शासन से आस, नए अस्पताल तीन साल से निराश

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: हाईकोर्ट की मंशा है कि सरकारी वेतन पाने वाले कर्मचारियों क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Mar 2018 03:02 AM (IST) Updated:Wed, 14 Mar 2018 03:02 AM (IST)
शासन से आस, नए अस्पताल तीन साल से निराश
शासन से आस, नए अस्पताल तीन साल से निराश

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: हाईकोर्ट की मंशा है कि सरकारी वेतन पाने वाले कर्मचारियों को उपचार सरकारी अस्पतालों में मिले। परंतु जनपद के सरकारी अस्पताल जहां जीवन रक्षक सुविधाओं के लिए सिसक रहे हैं। वहीं बीते तीन साल से नए अस्पतालों का संचालन नहीं हो पा रहा है। स्वीकृत हुए चार सामुदायिक और आठ प्राथमिक अस्पतालों की मुख्य इमारत तो बन गई लेकिन इन अस्पतालों में फिनसिंग का कार्य अब भी बाकी है। नतीजा कि इनका संचालन प्रारंभ नहीं हुआ। गजब बात यह है कि करोड़ों की लागत से तैयार अस्पतालों के लिए शासन से कोई स्टाफ तैनात नहीं हुआ है।

सवाल यह उठता है कि जब नए अस्पताल पूरी तरह से निर्मित ही नहीं है और उनके स्टाफ की तैनाती तक नहीं की गयी है। ऐसे में सरकारी अस्पतालों से उपचार की उम्मीद बेमानी है। हाईवे के थरियांव समीप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन बनकर तैयार है। लेकिन इसमें चिकित्सा अधीक्षक व डॉक्टरों के आवास अब तक बजट के अभाव में अपूर्ण हैं। कुछ ऐसा ही हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हाजीपुर गंग, हसवा व दपसौरा का यहां निर्माण का कार्य 80 फीसद लगभग पूरा है। लेकिन 20 फीसद कार्य के लिए शासन से बजट नहीं मिल पा रहा है। जिससे इन अस्पतालों का निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है। जनपद के हर कोने में बेहतर उपचार मिले इसके लिए तीन साल पहले इन अस्पतालों को स्वीकृत मिली थी। लेकिन पिछले एक साल से इनके निर्माण में कार्यदायी संस्थाएं बजट से जूझती रही है।

डॉक्टर व स्टाफ नहीं हुआ स्वीकृत : जनपद में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक दर्जन नए अस्पताल तो बना दिए गए लेकिन इनमें पैरा मेडिकल स्टाफ व डॉक्टरों की तैनाती आज तक नहीं हुई है। चूंकि जनपद पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में नए अस्पतालों का संचालन हो इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत है। नया स्टाफ न आने से करोड़ों की इमारत धूल खाने का मजबूर हैं।

इन अस्पतालों का बुरा हाल : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुसंभी, चक्की, मुत्तौर, जहांगीर नगर, संवत, टिकरी व गढ़ा का आधा अधूरा निर्माण हुआ है। लेकिन इनके लिए भी स्वीकृत स्टाफ शासन से तैनात नहीं किया गया है। लेकिन कागजों में इन अस्पतालों को संचालित दिखाने की गरज से सेहत महकमे ने यहां एक एक डॉक्टरों की तैनाती या फिर दूसरे अस्पतालों से संबद्ध कर इनके संचालित होने का दावा कर रहा है। लेकिन असल में यह अस्पताल खुलते ही नहीं है।

क्या बोले जिम्मेदार

हमारे जिले में चार सामुदायिक और आठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण अब तक शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं हुआ है। इन अस्पतालों का काम शीघ्र पूरा हो इसके लिए शासन से रिवाइज बजट मांगा है। धन आते ही इन्हें पूर्ण कराया जाएगा और नए स्टाफ की तैनाती के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा। -डॉ. विनय कुमार पांडेय, सीएमओ, फतेहपुर।

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