किसान की लंबी छलांग, नीति आयोग ने दिया तीसरा स्थान
जागरण संवाददाता फतेहपुर पौने चार लाख किसानों से भरा जनपद हमेशा से परंपरागत खेती से
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : पौने चार लाख किसानों से भरा जनपद हमेशा से परंपरागत खेती से ही जुड़ा रहा। बीते पांच वर्षों में जिले के किसानों ने न सिर्फ तकनीकि बदली बल्कि परंपरागत खेती से निकल कर वैज्ञानिक खेती को अपनाकर तरक्की की लंबी छलांग लगाई। पिछले साल दिसंबर की ही बात है, जब जिले को कृषि मूवर्स के रुप में नीति आयोग ने देश में तीसरी रैंक से नवाजा और प्रोत्साहन स्वरुप तीन करोड़ का विशेष बजट भी घोषित किया।
बीते पांच वर्षों से केंद्र व चार वर्षों से प्रदेश सरकार का पूरा फोकस कृषि विकास पर है। कृषि, उद्यान, कृषि प्रसार, भूमि संरक्षण और ऊसर सुधार के साथ सिचाई व मिट्टी के पोषकतत्वों की पहचान के लिए योजनाएं चला रही है। अनेक योजनाओं में किसानों अनुदान के रूप में सहायता दी जा रही है, ताकि किसान आत्मनिर्भर बनें। पिछले तीन सालों में सिर्फ अगर धान व गेहूं की पैदावार देखी जाते तो ज्यादा हुई और किसानों ने रिकार्ड बिक्री कर मुनाफा कमाया है। इसी तरह किसान औद्यानिक फसलों के जरिए तरक्की की इबारत लिख रहे हैं। जिले में अब परंपरागत खेती के दिन लगभग खत्म हो गए हैं, किसान जहां फूल, सब्जी, फल और आयुर्वेदिक खेती से जुड़ रहा है तो वहीं उसकी नजर नकदी फसलों पर भी टिकी है। एक मोटा अनुमान यह है कि अगर किसी किसान के पास पांच बीघे भूमि है तो वह तीन बीघे में धान व गेहूं की फसल करता है, लेकिन दो बीघे में नकदी फसलों का महत्व दे रहा है।
सक्सेज स्टोरी एक
कृषि यंत्रों के दम पर आठ फसली खेती का चक्र
औंग गांव के रामसिंह और शैलेंद्र सिंह दोनों सगे भाई हैं। इन्होंने कृषि यंत्रों के दम पर एक सीजन में आठ फसली खेती का ऐसा चक्र तैयार किया है, जिसकी गूंज अब दिल्ली व लखनऊ तक है। इसे यूपी का मॉडल बनाने की तैयारी भी हो रही है। दोनों किसानों ने दो बीघे भूमि पर एक ही समय पर आठ फसलें तैयार करके दिखाई और कृषि यंत्रों का बाखूबी प्रयोग किया। इन्होंने टपक सिचाई व निराई गुड़ाई के यंत्रों बेहतर इस्तेमाल किया है।
सक्सेज स्टोरी दो
मिली सहायता तो बन गए उद्यमी
यमुना कटरी के अमौली ब्लाक के गांव हुसेनाबाद के अनिल कुमार ने 50 फीसद अनुदान पर दाल मशीन खरीदी। दो साल में कारोबार इतना बढ़ गया कि चना, अरहर, मसूर, उर्द और मूंग की दाल की पैकिंग कर बिक्री कर रहे हैं। प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार की आमदनी हो रही है। इनको देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं और लोग इनके काम को देखकर प्रेरित होकर खुद भी ऐसे काम से जुड़ रहे हैं।
एक वर्ष में अनुदान पर एक नजर
योजना का प्रकार---------मात्रा----------------अनुदान राशि
धान बीज वितरण-------एक हजार क्विंटल ---------75.98 लाख
गेहूं बीज वितरण--------छह हजार क्विंटल---------1.30 करोड़
वर्मी कंपोस्ट------------250------------------------9.40 लाख
55 क्लस्टरों मेंखेती-----2750 किसान-----------1.74 करोड़
फसल प्रदर्शन---------260--------------------1.72 लाख
कृषि प्रशिक्षण--------260--------------------2.16 लाख
खेत तालाब योजना----55-------------------32 लाख ------------------------------- कृषि यंत्रों पर अनुदान व उनके लाभार्थी किसान
यंत्र का नाम---------------------------प्रति यंत्र अनुदान-------------------लाभार्थी संख्या
सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम----------82 हजार तक-----------------------10
पैडी स्ट्राचापर, शेडर, मच्र----------86 हजार तक------------------------19
श्रव मास्टर, रोटरी स्लेशर-----------22 हजार तक------------------------07
हाइड्रोलिक रिवर्सेबुल एमवी प्याऊ---92 हजार तक----------------------23
सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल-----------30 हजार तक----------------------83
सुपर सीडर-----------------------------एक लाख तक-----------------------90
बेलिग मशीन-------------------------डेढ़ लाख तक------------------------14
क्राम रीपर--------------------------90 हजार तक------------------------103
छोटे 44 यंत्रों पर------------------50 फीसद --------------------------499 जिले ने कृषि के क्षेत्र में तेजी के साथ सुधार किया है। नीति आयोग ने जिले को तीसरी रैंक देश में दी है। इसके लिए प्रोत्साहन राशि तीन करोड़ भी घोषित है। जिले में कृषि यंत्रों व बीज पर पहले आओ व पहले पाओ के आधार पर लाभ दिया जा रहा है।
-बृजेश सिंह, उप निदेशक कृषि प्रसार