संतों व कल्पवासियों का समागम अद्भुत , विश्व कल्याण का नाद

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बाबा का हाथ ऊपर हवा में लहराता है, दूसरे ही क्षण वह पूरी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Jan 2019 10:31 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jan 2019 10:31 PM (IST)
संतों व कल्पवासियों का समागम अद्भुत , विश्व कल्याण का नाद
संतों व कल्पवासियों का समागम अद्भुत , विश्व कल्याण का नाद

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बाबा का हाथ ऊपर हवा में लहराता है, दूसरे ही क्षण वह पूरी तन्मयता से शंख बजाते दिखते। कोई डमरू बजाने में खोया, तो कोई नक्कारे में कड़क धम धू गुंजा रहा। चिमटे की खनक में भी खोए। जीवनदायिनी मां गंगा की गोद में बसी तंबुओं की नगरी रामनगरिया में मानो धर्म अध्यात्म की यह सदानीरा बह रही। यहां संतों व कल्पवासियों का अद्भुत समागम हो रहा। श्रद्धालु ठहरते, बाबा के सामने दोनों हाथ जोड़कर नतमस्तक होते। गंगा माई सबका कल्याण करें, अंत में बाबा बोले विश्व का कल्याण हो।

पांचाल घाट पर बसी माघ मेला रामनगरिया कल्पवासियों के साथ ही प्रतिष्ठित संतों के प्रवास से जीवंत हो रही है। पक्षियों की कलरव ध्वनि के साथ प्रवास कर रहे श्रद्धालुओं की नींद टूटी। दैनिक क्रिया से निवृत्त हो भगवान भास्कर की निकलती किरणों की मद्धिम आभा के बीच जय मां गंगे, हर हर महादेव का जयघोष। इधर संत, उधर श्रद्धालु। पुण्य डुबकी का अनवरत सिलसिला। गंगा स्नान के बाद अपने-अपने तरीके से साधना में लीन। यही है झाड़िया अखाड़ा

गुजरते श्रद्धालु बोले, यही है निर्मोही झाड़िया अखाड़ा। सामने महंत श्री जगदीशदास बिराजे थे। महंत कालीदास, महंत सुमित गिरि कहने लगे, राम की नगरिया में जो आया, भक्ति व दान पुण्य के भावों से भरा है। मां गंगा तन-मन सब पावन बनाएंगी। मां-बेटी सींच रहीं मेहनत की खेती

धार्मिक आस्था से जुड़ा माघ मेला रोजगार के अवसर भी खिला रहा। घाट के निकट मां-बेटी अपनी मेहनत से ¨सदूर बना रहीं। लोग देखते रहे, खरीदा भी, मेहनत को सराहा भी और आगे बढ़ते रहे। नौका विहार से दिख रही दिव्य भव्य झांकी

नौका विहार में तंबुओं से बसी धर्म नगरी की दिव्य भव्य झांकी दिखी तो बड़े और बच्चे आनंद से भर उठे। नाविकों के लिए भी मेला रोजी-रोटी का साधन बन गया। सुखद सत्संग के साथ भंडारे का प्रसाद

कथा, प्रवचन व सत्संग सुख प्राप्त कर श्रद्धालु भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। यहां सेवा की साधना कुलाचें भरती दिखती हैं। लोग पत्तल लगाने, पत्तल उठाने की सेवा को उत्सुक हो रहे।

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