उफ! मवेशियों का तबेला बन गया 'सरस हाट'

संवाद सूत्र, कंपिल : प्रशासनिक उपेक्षा के चलते सरकारी धन की बर्बादी किस तरह से होती है, यह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Jan 2019 07:37 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jan 2019 07:37 PM (IST)
उफ! मवेशियों का तबेला बन गया 'सरस हाट'
उफ! मवेशियों का तबेला बन गया 'सरस हाट'

संवाद सूत्र, कंपिल : प्रशासनिक उपेक्षा के चलते सरकारी धन की बर्बादी किस तरह से होती है, यह देखना हो तो कभी विकास खंड कायमगंज की ग्राम पंचायत पट्टीमदारी के मजरा शंकरपुर आइए। करीब एक दशक पूर्व लाखों रुपये की लागत से यहां बनी सरस हाट उद्घाटन का इंतजार करते करते कबाड़ में तब्दील हो गयी है। नतीजतन यह सरस हाट जानवरों का तबेला बन गया। यहां पर दबंगो द्वारा अवैध कब्जा कर उपले पाथे जा रहे हैं और दुकानों में भूसा आदि भर रखा है।

स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के अंतर्गत वर्ष 2009-10 में गांव शंकरपुर में करीब 20 लाख रुपये की लागत से सरस हाट का निर्माण कराया गया। निर्माण के समय स्वयं सहायता समूहों से जुड़े लोगों में एक नई उम्मीद जगी थी। ग्रामीणों को सामान की बिक्री करने के लिए सरस हाट के अंतर्गत 20 दुकानों का निर्माण करवाया था। इसके साथ ही परिसर में शेड का निर्माण करवाया गया। सरस हाट के संचालन के लिए समितियों का भी गठन कर दिया गया था। इसके बावजूद अभी तक इसका संचालन न हो सका। दुकानों की दीवारों में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। शटर जंग लगकर टूट रहे हैं। टीन शेड टूट चुका है। परिसर में चारो तरफ झाड़ियां उग आई हैं। किसानों को दुकानें आवंटित न हो सकीं।

क्या है सरस हाट

सरस हाट से तात्पर्य एक प्रकार की छोटी मंडी से है, जहां किसान बिना बिचौलियों के अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेच सके। शासन ने स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के तहत गरीब तबके के ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गांवों में सरस हाट की स्थापना कराई थी। मंशा यह थी कि आसपास के गांवों के आम लोग आसानी से अपनी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं को सरस हाट (बाजार) से खरीद सकें। सरस हाट केंद्र को शुरू करने की अभी कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है। अगर किसी ने कब्जा कर रखा है तो उसका कब्जा हटवा कर जगह को मुक्त कराया जाएगा।

संजय शर्मा, प्रभारी खंड विकास अधिकारी

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