रिहाई से पहले कैदी ने ले ली अपनी जान

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद सेंट्रल जेल में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी का शव रविवार सुबह पेड़ पर लटका मिला। घटना से जेल प्रशासन में हलचल मच गई। सूचना पर पुलिस अधीक्षक जांच करने मौके पर पहुंचे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Sep 2019 10:35 PM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 06:21 AM (IST)
रिहाई से पहले कैदी ने ले ली अपनी जान
रिहाई से पहले कैदी ने ले ली अपनी जान

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद: सेंट्रल जेल में रिहाई के इंतजार में कैदियों की मौत हो जाती है, लेकिन यहां के एक कैदी ने रिहाई की सूचना के बाद मौत को गले लगा लिया। माता-पिता की हत्या में 14 साल से बंद कैदी राधेश्याम यादव ने रविवार को फांसी लगा ली। सुबह उसका शव जेल में पेड़ से लटका मिला। जबकि 26 जनवरी को वह रिहा होने वाला था। मानसिक बीमार राधेश्याम ने ऐसा क्यों किया, इसबारे में अभी कोई कुछ नहीं बता पा रहा है।

उन्नाव जिले के असोहा थाना क्षेत्र के अनवरपुर निवासी 60 वर्षीय राधेश्याम यादव पुत्र जागेश्वर अपने सौतेले पिता और सगी माता की हत्या का दोषी था। 11 जनवरी 2005 को उन्नाव न्यायालय ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी और 14 मई 2005 को फतेहगढ़ सेंट्रल जेल लाया गया था। रविवार सुबह 10 बजे कैदियों ने जेल परिसर में पेड़ से लुंगी से लटका उसका शव देखा था। सूचना पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसएचएम रिजवी अधीनस्थों के साथ पहुंचे। कुछ देर में पुलिस अधीक्षक डॉ.अनिल मिश्रा, कोतवाल अजय नारायण, चौकी प्रभारी रविद्र कुमार ने पहुंच गए। एसपी ने बताया कि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि उसका नाम 26 जनवरी को छूटने वाले कैदियों में था। इसके पहले उसने जान क्यों दी, यह समझ नहीं आ रहा है। इसकी जांच की जा रही है।

मानसिक रोग से पीड़ित था

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि कुछ साल से वह मानसिक रोग से पीड़ित था। चार फरवरी 2018 को इलाज के लिए वाराणसी भेजा गया था, जहां से इसी वर्ष 18 मई को वापस लाया गया था। तबसे जेल अस्पातल की बैरिक में रखा गया था।

जेल में ही थी उसकी दुनिया

जेल सूत्रों की मानें तो इतने सालों में राधेश्याम से कोई मिलने नहीं आया। उसके लिए जेल की चहारदीवारी ही दुनिया थी। माता-पिता को खुद कत्ल कर दिया। शादी हुई नहीं। बहन-बहनोई ने जेल भिजवाया।

लापरवाही में बंदी रक्षक निलंबित

वरिष्ठ अधीक्षक ने बताया कि जेल वार्डन राधे मोहन तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। उनकी सुबह आठ से 12 बजे तक अस्पताल चक्र में ड्यूटी थी। इसी दौरान राधेश्याम ने इस क्षेत्र में फांसी लगाई है।

पैनल से हुआ पोस्टमार्टम

डॉ. अमित अग्रवाल व डॉ. नीरज यादव के पैनल ने कैदी के शव का पोस्टमार्टम किया। इस दौरान वीडियोग्राफी कराई गई। सूत्रों के अनुसार कैदी की मौत फांसी लगने से होने की पुष्टि हुई है।

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